tag:blogger.com,1999:blog-314610924509122169.post1472540569799413132..comments2023-11-27T02:57:26.642-08:00Comments on do patan ke bich: दिनन के फेररंजीत/ Ranjithttp://www.blogger.com/profile/03530615413132609546noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-314610924509122169.post-76749130151074136522009-08-17T22:35:45.526-07:002009-08-17T22:35:45.526-07:00रंजना जी, बहुत धन्यवाद। ब्लॉग को एक गंभीर माध्यम क...रंजना जी, बहुत धन्यवाद। ब्लॉग को एक गंभीर माध्यम के रूप में विकसित करने की जिम्मेदारी आज के ब्लॉगरों के ऊपर है। हम और आप और कई ब्लॉगर -लेखक , यह प्रयास कर रहे हैं। मुझे लगता है कि आज के दौर में सच्चाई को सामने लाने में ब्लाग से ज्यादा कारगर कोई माध्यम नहीं है। परंपरागत मीडिया यह भूमिका अब नहीं निभा सकती क्योंकि वह हजार तरह के हित-अहित के बीच पल-पल समझौता और सौदा का दूसरा नाम ही रह गया है। ब्लाग इससे आजाद है। ब्लॉगरों के ऊपर किसी तरह का कंपल्सन नहीं है। उनकी कलम मुक्त और आजाद हैं। इसलिए व्यक्तिगत तौर पर मुझे ब्लाग और ब्लॉगरों से बहुत अपेक्षा है।<br />रंजना जी, आप ने ठीक कहा है कि आप मेरी बात को सही-सही महसूस कर सकती हैं। शायद आप भी गांव की संस्कृति से सीधी जुड़ी रही हैं। लेकिन मैं तो कहूंगा कि हम सबों में यह शक्ति है। आखिर कब तक हम एकांगी विकास को संपूर्ण विकास मानने के मुगालते में जीते रहेंगे और रेत के महल पर भरोसा करते रहेंगे। अगर भारत में गांवों की स्थिति नहीं सुधरी तो शहर रेत के महल से ज्यादा कुछ नहीं है। <br />दिगंबर भाई और मिलन जी को बहुत-बहुत धन्यवाद। <br />स आभार <br />रंजीतरंजीत/ Ranjithttps://www.blogger.com/profile/03530615413132609546noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-314610924509122169.post-52989463952948210232009-08-17T20:27:25.157-07:002009-08-17T20:27:25.157-07:00straight and little bit bitter .. but its reality....straight and little bit bitter .. but its reality.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-314610924509122169.post-36352966650591002462009-08-17T11:35:31.238-07:002009-08-17T11:35:31.238-07:00Aaj yah ek ansh padh hi man ki jo sthti hui hai......Aaj yah ek ansh padh hi man ki jo sthti hui hai.......bas kya kahun...<br />Pichhle sabhi bhaag jald hi padhungi...<br /><br />Aapki lekhni ko naman !!!<br /><br />Aapki baton ko samajh payi,kyonki andar se main bhi ek shahri dehatin hun...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-314610924509122169.post-58123741700677410272009-08-17T01:02:06.256-07:002009-08-17T01:02:06.256-07:00ऐसे कितने ही मल्खा भारत वर्ष के अनेकों गाँव में भर...ऐसे कितने ही मल्खा भारत वर्ष के अनेकों गाँव में भरे पड़े हैं.............. ये त्रासदी है की इस व्यवस्था में कोई सुधार नहीं होतादिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.com