tag:blogger.com,1999:blog-314610924509122169.post4944805054694379108..comments2023-11-27T02:57:26.642-08:00Comments on do patan ke bich: वो घास की कताई, वो कास की बुनाई (पहली कड़ी)रंजीत/ Ranjithttp://www.blogger.com/profile/03530615413132609546noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-314610924509122169.post-81487529236961944732009-02-06T04:33:00.000-08:002009-02-06T04:33:00.000-08:00बहुत अच्छी जानकारी दी है।आभार।बहुत अच्छी जानकारी दी है।आभार।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-314610924509122169.post-68953009101356278842009-02-05T08:03:00.000-08:002009-02-05T08:03:00.000-08:00अच्छी जानकारी दी आपने लोक-कला और देसी तकनीकों की....अच्छी जानकारी दी आपने लोक-कला और देसी तकनीकों की......आज भी इनके कद्रदान नहीं मिलेंगे....ऐसी बात नहीं है ....पर कमी है तो सिर्फ व्यवस्था की......युवा यहां वहां रोजगार के लिए भटकते रहते हें.....पर अपने क्षेत्र की ऐसी तकनीकों को दुनिया के सम्मुख लाने और उसका उचित मूल्य प्राप्त करने की कोशिश नहीं करते हैं।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.com