रविवार, 2 नवंबर 2008

अभी-अभी विधवा हुई महिला

उसे नहीं मालूम कि उसके गांव से किस ओर है वह देस
कैसे दिखते हैं उधर के लोग
किस बात पर उन्हें आता है गुस्सा
किस बात पर लगाते हैं वे ठहाके
और उनकी सजा व इनाम के मानदंड क्या हैं
उसके पति ने पिछली बार बताया था
कि उस शहर में ऊंचे-ऊंचे अनगिनत मकान हैं
कि उस शहर में बड़े-बड़े लोग रहते हैं
कि उस शहर में लोग ही लोग रहते हैं
टीवी वाले, सिनेमा वाले
खोमचे वाले, नोमचे वाले
खंदूक-बंदूक और संदूक वाले
पर
पति ने नहीं बताया कभी
कि उस शहर में भी हैं ठाकुर जैसे नृशंस
जो एक इंच जमीन के लिए गिरवा सकते हैं दो दर्जन लाशें
नीम-बेहोशी में पड़ी वह महिला
जिसने अभी-अभी पोंछी है सिंदूर और तोड़ी हैं चूड़ियां
सोचती है --
कि वे लोग नहीं, आदमखोर होंगे
महिषासुर जैसी होंगी उनकी सूरतें
हाय ! कोई बता दे उसे
कि उसके गांव से किस ओर है वह शहर
कैसे हैं वहां के लोग, कैसा है उनका इंसाफ

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