जब
देश और दातुन का फर्क मालूम न चले
जीवन का मतलब दीमक हो जाये
और किसी पेड़ के नीचे
सायास पता लगे कि
बंदूक
, गोली, बारूद से ज्यादा डरपोक कुछ नहींतो
कविता मजबूरी हो जाती है
जब
हम नहीं कह पाये रस्सी को सांप
गांव की उस निर्दोष बेवा को बांझ
सुबह को सांझ और किनारे को मांझ
तो
कविता मजबूरी हो जाती है
जब
हर खबर पहले से सुनी हुई लगे
प्रेम और टेस्टासटेरॉन समानार्थी हो जाये
तो कविता मजबूरी हो जाती है
तो कविता ही एक जगह बचती है
कुछ कहने के लिए
कुछ सुनने के लिए
कुछ समझने के लिए
रोने
-गाने और चिल्लाने के लिएमर जाने या मार देने के लिए
+
कविता मेरा भ्रम नहीं
कविता मेरा श्रम नहीं
लिखने के लिए भी नहीं
और छपने के लिए भी नहीं
++
कविता
काजल की कोठरी में बेदाग की तलाश है
निरर्थक शोर के बीच अर्थ का प्रयास है
खामोशी तोड़ने का आखिरी औजार है
मां की मनाही
और प्रेमिका की हां है
कविता
आखिरी सांस तक मानव बने रहने की जिद है
"जबहम नहीं कह पाये रस्सी को सांप
जवाब देंहटाएंगांव की उस निर्दोष बेवा को बांझ
सुबह को सांझ और किनारे को मांझ
...
कविता काजल की कोठरी में बेदाग की तलाश है निरर्थक शोर के बीच अर्थ का प्रयास है खामोशी तोड़ने का आखिरी औजार है मां की मनाही और प्रेमिका की हां है कविता आखिरी सांस तक मानव बने रहने की जिद है"
बेबाक प्रस्तुति - लाजवाब रचना - यही सोच बनी रहे - हार्दिक शुभकामनाएं
सीधे सीधे जीवन से जुड़ी ईस कविता में नैराश्य कहीं नहीं दीखता। एक अदम्य जिजीविषा का भाव कविता में इस भाव की अभिव्यक्ति हुई है।
जवाब देंहटाएंबहुत गहरा चिंतन ... बहुत कुछ खोजती, अपने आप को तलाशती ... अक्सर कविता ऐसे भी भटक जाती है सच और सच को कहने की ताक़त के बीच .... लाजवाब प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा!! अच्छी लगी रचना!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर दिल को छुं लेने वाली कविता है ! पढकर बहुत अच्छा लगा !
जवाब देंहटाएंजब हर खबर पहले से सुनी हुई लगे
प्रेम और टेस्टोरेन समानार्थी हो जाये
तो कविता मजबूरी हो जाती है
क्या बात है जी !
चेतनासंपन्न मूल्यांकन के लिए आप सभी गुणी जनों का बहुत-बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंकविता
जवाब देंहटाएंकाजल की कोठरी में बेदाग की तलाश है
निरर्थक शोर के बीच अर्थ का प्रयास है
खामोशी तोड़ने का आखिरी औजार है
लाजवाब ....!!
i like your attitude. you always give material to be a resposible citizen.you are my asset.
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