एक पीढ़ी तैयार होगी
लूटे हुए पैसों के पालने में झूलती हुई
घोटाले के उड़नखटोले में उड़ती हुई
बेईमानी की छत के नीचे सोती हुई
हर फिक्र को हवा में उ़डाती हुई
पीढ़ी जवान होगी
शायद अनजान ही रहेगी इतिहास से
उसी समय एक दूसरी पीढ़ी भी रहेगी
लूटे हुए खेतों में रोती हुई
छीने हुए घरों को तलाशती हुई
उड़ते उड़नखटोले को निहारती हुई
पेट की भूख को दिमाग में महसूसती हुई
यह पीढ़ी भी जवान जरूर होगी
और इतिहास का निशान इसके ललाट पर होगा
जो कहते हैं कहें
मैं कैसे कह दूं, साथी
सब कुछ अच्छा होगा
बेईमानी की छत के नीचे सोती हुई
हर फिक्र को हवा में उ़डाती हुई
पीढ़ी जवान होगी
शायद अनजान ही रहेगी इतिहास से
उसी समय एक दूसरी पीढ़ी भी रहेगी
लूटे हुए खेतों में रोती हुई
छीने हुए घरों को तलाशती हुई
उड़ते उड़नखटोले को निहारती हुई
पेट की भूख को दिमाग में महसूसती हुई
यह पीढ़ी भी जवान जरूर होगी
और इतिहास का निशान इसके ललाट पर होगा
जो कहते हैं कहें
मैं कैसे कह दूं, साथी
सब कुछ अच्छा होगा
अमीरी-गरीबी का सुन्दर शब्द-चित्रण।
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने ,बहुत सुंदर बधाई
जवाब देंहटाएंपीदियों का अंतर हमेशा रही है ,रहेगा ,,आप भी मेरे ब्लोग्स का अनुशरण करें ,ख़ुशी होगी.
जवाब देंहटाएंlatest postअहम् का गुलाम (भाग तीन )
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बहुत सुंदर .बेह्तरीन अभिव्यक्ति !शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंaap sabhon ka babhu-bahut aabhar,
जवाब देंहटाएंRanjit
साथी सब कुछ अच्छा ही होगा.
जवाब देंहटाएंरचना अच्छी है, लेकिन खुद पर लागू मत करना... सब कुछ अच्छा ही होगा...