काकोरी कांड भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की गौरव-गाथा की अमर दास्तान है। यह एक प्रेरणा-दीप है जो हर युग के संघर्ष-मार्ग को प्रज्जवलित करते रहेगा। राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, रोशन सिंह और राजेंद्र लाहड़ी के अमर बलिदान की यह कहानी हमें याद दिलाती है कि समाज और राष्ट्र की बेहतरी और भलाई के लिए जान न्योछावर करना, हमारी परंपरा है। स्वकेंद्रित व स्वार्थी जीवन जीने के इस दौर में काकोरी की प्रासंगिकता और बढ़ गयी है। "तीसरा स्वाधीनता आंदोलन' नामक संगठन आगामी 19 और 20 दिसंबर को इन महापुरुषों की याद में एक चिंतन शिविर का आयोजन कर रहा है। आयोजन उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में हो रहा है। आयोजकों का कहना है कि इस अवसर पर शामिल होकर हम देश की वर्तमान चुनौतियों पर राय-मशविरा करेंगे। मुरादाबाद से काफी दूर रहने के कारण मैं इस समारोह में शामिल नहीं हो पाऊंगा, लेकिन आप सबसे इतनी अपील जरूर करूंगा कि अगर आप इसमें शामिल हो सकते हैं तो जरूर होयें।
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