बुधवार, 11 फ़रवरी 2009

कहीं पठान-पठान तो कहीं हसी-हसी

यूं तो अब क्रिकेट में हर दिन नया-नया कारनामा हो रहा है और हो भी क्यों नहीं, क्योंकि अब क्रिकेट खेल तो रहा नहीं; वह तो दैनिक व्यवसाय हो चुका है। कोई ऐसा-वैसा व्यवसाय नहीं, बल्कि करोड़ों-अरबों काबिजनेस। इसलिए हर दिन कोई न कोई रिकॉर्ड बनना लाजिमी है और बनता भी रहता है। कभी मैदान के अंदर तो कभी मैदान के बाहर। मसलन पिछले दिनों जब वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड को महज 51 रनों पर धूल चटा दी तो एक नया रिकॉर्ड बन गया। उसी तरह जयसूर्या का 39 साला बुढ़ा कंधा ने पांचवें वन डे पठान की गेंद पर छक्का लगाया तो एक रिकॉर्ड यह बना कि आज तक इतने उम्रदराज किसी खिलाड़ी ने इतना लंबा छक्का नहीं लगाया था। ये तो मैदान के अंदर का रिकॉर्ड है, पिछले सप्ताह क्रिकेट में मैदान के बाहर भी एक अद्‌भूत रिकॉर्ड बना। इस रिकॉर्ड को बनाया आइपीएल के संचालकों ने। वह यह कि पहली बार इतिहास में क्रिकेटरों के वस्तुओं की तरह बोली लगी और उन्हें ऊंची कीमत लगाने वालों के सुपुर्द कर दिया गया। हालांकि यह काम पिछले साल ही शुरू हो गया था, लेकिन रिकॉर्ड इस लिहाज में बना कि पहली बार इस ऑक्सन प्रक्रिया को आम लोगों ने देखा,बिल्कुल नगर निगम की स्क्रैपों की नीलामी की तरह।
अब मूल विषय पर आते हैं जो दिलचस्प भी है और विशुद्ध रूप से क्रिकेटिंग भी है। कल यानी 10 फरवरी को यह अनोखा रिकॉर्ड बना। वह यह कि क्रिकेट के इतिहास में 10फरवरी का दिन इसलिए दर्ज हो गया क्योंकि इस दिन दो सगे भाइयों की जोड़ियों ने अकेले अपने दम पर विपक्षी टीम को धूल चटा दी। पहली जोड़ी भारतीय क्रिकेटर बंधु इरफान पठान और युसूफ पठान की थी जिसने कल अकेले अपने दम पर श्रीलंका के हाथ से मैच छिन लिया। कल जब भारत टी-20 मैच में हार की कगार पर पहुंच गया था, तो पठान बंधुओं ने मोर्चा संभाल लिया। पहले बड़े भाई युसूफ ने तगड़े हाथ दिखाये उसके बाद इरफान ने। बड़े भाई के छक्के ने छोटे में ऐसा जोश भरा कि वह फनार्डो और मलिंगा जैसे तेज गेंदबाजों को गली का बबलुआ समझकर पीट बैठा। इरफान ने कल मलिंगा की गेंद पर जो छक्का लगाया वह उसके बैटिंग क्षमता से कई गुना ज्यादा बड़ा और मोहक छक्का था। इस सीन को देखकर मेरे मुंह से बरबस निकल गया- बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां सुभान अल्लाह!
दूसरी जोड़ी ऑस्ट्रेलिया के हसी बंधुओं की थी। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर बंधु माइक हसी और डेविड हसी ने कल ही न्यूजीलैंड के हाथ से मैच छिन लिया और लगातार हार की सामना कर रही अपनी टीम के हाथ से निकल रही सीरिज को बचा लिया। प्रतिभा के लिहाज से माइक हसी, डेविड हसी से कहीं श्रेष्ठ हैं, लेकिन कल डेविड ने माइक से भी बढ़िया खेल दिखाया । वैसे तो विश्व क्रिकेट के इतिहास में कई ऐसे क्रिकेटर बंधुओं का नाम दर्ज है जिसने साथ-साथ अपने देश का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन यह पहला अवसर है जब एक ही दिन दो अलग-अलग टीमों के बंधुओं ने विपक्षी दल को दिन में ही तारे दिखा दिये।

1 टिप्पणी:

अनिल कान्त ने कहा…

ये दुनिया ऐसी ही है दोस्त ...यहाँ यही सब होता है ...

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