रविवार, 12 अप्रैल 2009

मजहबी समागम का मनभावन दृश्य

एक ऐसे दौर में जब नकारात्मक घटनाएं और प्रवृत्तियां समाज पर हावी हैं, तब सकारात्मक प्रवृत्तियों को खोज निकालना वाकई काफी मुश्किल हो गया है। समाचार माध्यमों में सकारात्मक खबरें अब ढूंढ़ने से भी नहीं मिलतीं। एक तो समाज में सकारात्मक चीजें ज्यादा होती नहीं और अगर होती भी हैं, तो उन पर समाचार माध्यम ज्यादा ध्यान नहीं देते। लेकिन किसी ने कहा है कि दुनिया को अच्छी चीजें ही बचायेंगी। नकारात्मकता भले ही पराकाष्ठा पर पहुंच गयी हो, लेकिन सकारात्मकता को वह परास्त नहीं कर सकती। ठीक वैसे ही जैसे अंधकार कितना भी घना क्यों न हो, प्रकाश की एक किरण उसकी सत्ता खत्म कर देती है और दूर से ही अपनी उपस्थिति दर्ज करा देती है।
कल धनवाद के एक पुराने पत्रकार मित्र से बात हो रही थी। चुनावी उठापटक से बात शुरू हुई और अंततः एक ऐसे खबर पर आकर रूक गयी, जो पूरी दुनिया के लिए अनुकरणीय है। खबर लोयाबाद धनबाद की है। बीते गुरुवार को धनबाद के लोयाबाद कस्बे के लोगों के बीच मजहबी समागम का एक अद्‌भूत दृश्य देखने को मिला। इस दिन यहां के एक मजार शरीफ पर चादरपोशी के लिए एक बड़ी भीड़ इक्कठा हुई थी, जिसने मजहबी दीवार को झटके में तोड़ दिया । भीड़ सिर्फ मुस्लिम धर्मावलंबियों की नहीं थी, बल्कि इसमें सभी धर्मों और संप्रदाय के लोग शामिल थे। मौका था लोयाबाद ईदगाह के समीप हजरत सैय्यद अब्दुल अजीज शाह बाबा (रहम) के 71वें उर्स मेला के मौके पर चादरपोशी का। चादरपोशी के बाद सभी धर्मों के लोगों ने देश के अमन व सलामती की दुआएं मांगी । पहली चादर लोयाबाद मुस्लिम कमेटी, लोयाबाद के दफ्तर से गाजा बाजा के साथ जुलूस की शक्ल में आयी और मजार पर चढ़ायी गयी। इसके बाद सभी धर्मों के लोगों ने चादरपोशी की और साथ-साथ समय बिताये। काश, देश का हर कस्बा गुरुवार का लोयाबाद बन जाता, तो कितना अच्छा होता।