मंगलवार, 8 मार्च 2011

उठता हुआ शोर


पुष्पराज

चर्चित पुस्तक "नंदीग्राम डायरी'' के युवा लेखक पुष्पराज लेखन के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर लगातार सक्रिय हैं। प्रस्तुत रचना बेहाल अवाम की बेचैनी को शब्द दे रही है, यह अलग बात है कि सत्तानशीनों को अब भी कुछ सुनाई नहीं दे रहा। बकौल पुष्पराज," भारत के गांवों से हजारों युवा सत्ता छोड़ ,सत्ता छोड़, सत्ता छोड़ ,सत्ता छोड़ ...... का शोर करते हुए लाल किला की प्राचीर से किसी को खीच कर समंदर में फेंकने के लिए आगे निकाल चुके हैं। ग्रामेर मानुषके ग्राम-गर्भ से यह स्वर उभर रहा है साथी ...''


सत्ता छोड़, सत्ता छोड़, सत्ता छोड़, सत्ता छोड़ ...

महंगाई जी सत्ता छोड़, जम्हाई जी सत्ता छोड़
बतपुतली जी सत्ता छोड़, कठपुतली जी सत्ता छोड़
सत्ता छोड़, सत्ता छोड़, सत्ता छोड़, सत्ता छोड़ ...
लोभन सिंह जी सत्ता छोड़, प्रलोभन सिंह जी सत्ता छोड़
भदमोहन सिंह सत्ता छोड़, पदमोहन सिंह सत्ता छोड़
सत्ता छोड़, सत्ता छोड़, सत्ता छोड़, सत्ता छोड़ ...
कठमोहन सिंह सत्ता छोड़, भट्ठमोहन सिंह सत्ता छोड़
ठगमोहन सिंह सत्ता छोड़, हठमोहन सिंह सत्ता छोड़
सत्ता छोड़, सत्ता छोड़, सत्ता छोड़, सत्ता छोड़ ...


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