शनिवार, 8 जून 2013

हम


बच्चा कोई भी हो
बीच खेल से
बांह पकड़कर खींच लाओ,तो रोता है 
कुछ चॉकलेट लेकर चुप हो जाता है
कुछ चॉकलेट फेंककर भी चुप नहीं होता
मगर हम नहीं समझते
शायद इसलिए
कि हम चॉकलेट देने और बांह मरोड़ने के आगे
सोच ही नहीं पाते

3 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

nice feelings .

Smart Indian ने कहा…

सच है।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

शशक्त और प्रभावी ...
सामयिक लिखा है .... प्रहार है इस व्यवस्था पर ...