शनिवार, 7 सितंबर 2013

तब हम गड्ढे वाले भी गाते

समंदर !
अगर रास्ता आगे से बंद न किया गया होता
अगर दिल्ली इस कदर बिल्ली न हुई होती
और बहती हुई हवा रोकी न गयी होती
और निकले हुए आंसू, पोंछे गये होते,
सच कहते हैं समंदर
तब तेरी शान में हम गड्ढे वाले भी गाते
पूनम की रात, ज्वार-भाटे के गीत