रात के अंधेरे में दौड़ती हुईं रेलगाड़ियां
और
कौंधती-बलखाती-गुजरती हुईं बत्तियां
जैसे
मैं-तुम और तेरी अंगड़ाइयां
बिस्तर पर सोया हुआ नन्हा-सा बच्चा
और
अचानक उसका रोना और मां का जगना
जैसे मैं-तुम और तेरा उलाहना
जेठ की दोपहरी में रेतों के लट्टू
और
हलवाहों का हाक
जैसे मैं-तुम और तेरा प्यार
सोमवार, 28 जुलाई 2008
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