मंगलवार, 12 जुलाई 2011

फूस के घर : बनने और बहने की अकथ कहानी

दहाये हुए देस का दर्द- 77 
पानी में फंसा सुपौल जिला का परहावा गांवः  कोशी तटबंधों के बीच फूस के ही घर होते हैं। हर साल बनते हैं, हर साल बहते हैं। पानी के प्रवेश के साथ लोगों ने गांव खाली कर दिया है। घरें तन्हा खड़ें हैं। बरसात के बाद लोग लौंटेंगे।  तब तक छतें नदी में विलीन हो जायेंगी। कुछ खूंटे खड़े रहेंगे। लौटे हुए लोग इन खूंटों से लिपटकर पहले रोयेंगे फिर गुफ्तगू करेंगे। धीरे-धीरे उन खूंटों पर फिर से नयी छत बिछ जायेगी। हां,यह बाततटबंधों के बीच ही रहेगी। पचास साल से यही होता रहा है।

3 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

बड़ा भयावह दृश्य है।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

पचास साल से ये होता आया है ... आगे भी होगा ... सरकार कुछ करे न करे पर इंसान की जिजीविषा हमेशा उसका साथ देती है ... अफ्सोसो की बात है की साधन होते हुवे भी सरकार अनजान सी रहती है इन समस्याओं से ...

रंजीत/ Ranjit ने कहा…

@ Manoj jee. han bahut bhayavah hai yah sab kuch aur dardnak bhee...
aabhar