एकांत
ईमानदार एकांत
मिलता तो
एक कविता होती
पढ़ने की कोई किताब होती
एकांत !
एकांत की भीड़ में
आदमी से उमस नहीं लगती
एकांत की बहस में
बुद्धि पर बोध हावी नहीं होता
हम आदमी होते
आग्रह का उल्लू नहीं
हमें सीधी रेखा भी सुंदर लगती
एकांत अगर ऊपर होता
दूध का दूध और पानी का पानी होता
एकांत अगर नीचे होता
गांवों में आज भी किस्सा होता
जंगल अभी तक जिंदा होता
++
एकांत
अब लगभग दुर्लभ है
वह न घर में है न बाहर में
न दीन में न दुनिया में
न प्रेम में न आक्रोश में है
जहां हो सकता था एक विरॉट एकांत
वहां अब एजेंडा है
शायद इसलिए, एकांत को तलाशता आदमी
आज अकेला है
ईमानदार एकांत
मिलता तो
एक कविता होती
पढ़ने की कोई किताब होती
एकांत !
एकांत की भीड़ में
आदमी से उमस नहीं लगती
एकांत की बहस में
बुद्धि पर बोध हावी नहीं होता
हम आदमी होते
आग्रह का उल्लू नहीं
हमें सीधी रेखा भी सुंदर लगती
एकांत अगर ऊपर होता
दूध का दूध और पानी का पानी होता
एकांत अगर नीचे होता
गांवों में आज भी किस्सा होता
जंगल अभी तक जिंदा होता
++
एकांत
अब लगभग दुर्लभ है
वह न घर में है न बाहर में
न दीन में न दुनिया में
न प्रेम में न आक्रोश में है
जहां हो सकता था एक विरॉट एकांत
वहां अब एजेंडा है
शायद इसलिए, एकांत को तलाशता आदमी
आज अकेला है
7 टिप्पणियां:
bahut badhiya
"एकांत को तलाशता आदमी
आज अकेला है"
बृहद अर्थ को समेटे सार्थक प्रस्तुति
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गहन अर्थो को लिये शानदार प्रस्तुति।
वृह्तार्थक चिंतन...
सादर बधाई...
ईद की सिवैन्याँ, तीज का प्रसाद |
गजानन चतुर्थी, हमारी फ़रियाद ||
आइये, घूम जाइए ||
FRIDAY
http://charchamanch.blogspot.com/
aap sabon ka Aabhar
Ranjit
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