सच है
कि दो बीघा खेत
नाम नहीं देता
पहचान नहीं देता
कि दो बीघा खेत
नाम नहीं देता
पहचान नहीं देता
मैंसन-सा कोई मकान नहीं देता
लेकिन, दो बीघा खेत
प्रोडक्ट नहीं बाजार का
पहचानी हुई पुरानी आवाज है
आधा हम सुनते हैं
आधा वह सुनता है
एक आदिम हमदर्द है
पहले हम रोते हैं
बाद में खेत रोता है
टूटे हुए टाट के भरोसे को देखो
दो बीघा खेत
हमारे होने का एहसास है
चूते खाट पर तनकर लेटने का साहस है
जब थे दो बीघे खेत
पंगत में एक पात अपना भी था
पांव के नीचे गांव था, प्लेटफार्म नहीं
जब होता है दो बीघा खेत
कोढ़िया बैल भी प्यारे लगते हैं
हवा-बसात, पहचानी लगती है
सूरज में हमारी भी साझेदारी होती है
रात में कोई निवेश नहीं होता
सूर्योदय हमारे द्वार भी आता है
दो बीघा खेत
हमें खड़ा करता है
कड़ा करता है
कि आंच बढ़ती रहे
हम चटकेंगे नहीं
साक्षी है इतिहास
गांधी और मार्क्स
दो बीघा खेत के बूते
हम बचा लेंगे देश
और देश की घास
जैसे मेमनों ने बचा रखी है शराफत
लाजवंती ने लाज
पंछियों ने आकाश
प्रोडक्ट नहीं बाजार का
पहचानी हुई पुरानी आवाज है
आधा हम सुनते हैं
आधा वह सुनता है
एक आदिम हमदर्द है
पहले हम रोते हैं
बाद में खेत रोता है
टूटे हुए टाट के भरोसे को देखो
दो बीघा खेत
हमारे होने का एहसास है
चूते खाट पर तनकर लेटने का साहस है
जब थे दो बीघे खेत
पंगत में एक पात अपना भी था
पांव के नीचे गांव था, प्लेटफार्म नहीं
जब होता है दो बीघा खेत
कोढ़िया बैल भी प्यारे लगते हैं
हवा-बसात, पहचानी लगती है
सूरज में हमारी भी साझेदारी होती है
रात में कोई निवेश नहीं होता
सूर्योदय हमारे द्वार भी आता है
दो बीघा खेत
हमें खड़ा करता है
कड़ा करता है
कि आंच बढ़ती रहे
हम चटकेंगे नहीं
साक्षी है इतिहास
गांधी और मार्क्स
दो बीघा खेत के बूते
हम बचा लेंगे देश
और देश की घास
जैसे मेमनों ने बचा रखी है शराफत
लाजवंती ने लाज
पंछियों ने आकाश
2 टिप्पणियां:
बहुत खूब रणजीत जी ... शशक्त .. बहुत ही प्रभावी गहरे अर्थ लिए ... ये दो बीघा ज़मीन अपने होने का एहसास कराती है ...
Bahut-Bahut Abhar Naswaa jee.
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