बिहार के सीमांत जिले अररिया, किशनगंज, कटिहार और पूर्णिया में पोरस बॉर्डर से होकर जो समस्याएं प्रवेश कर रही हैं, उनके दूरगामी परिणाम घातक होंगे। सतत घुसपैठ ने जहां इन इलाकों को मानव से लेकर मवेशी तस्करों का पसंदीदा ठिकाना बना दिया है, वहीं गरीबी, जनसंख्या विस्फोट, धार्मिक आडंबर आदि भी बढ़ते जा रहे हैं । आलम यह है कि पशु तस्करों ने इलाके के सांड़ और सार्वजनिक भैंसा तक को नहीं बख्शा है। अररिया, सुपौल, किशनगंज जिले से अचानक सांड़ और भैंसा लापता हो रहे हैं। द पब्लिक एजेंडा की कवर स्टोरी में मैंने इस पर अलग से रिपोर्ट लिखी है। |
सोमवार, 30 जून 2014
बॉर्डर और बिहार
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3 टिप्पणियां:
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