आत्मा के अंतस में होने लगती है गुदगदी
खिल उठते हैं, मन के फूल
वजूद बेखुद हो जाता है
और जैसे गर्म तवे पर उड़ जाती है पानी की बूंद
उसी तरह छन-छनाकर घुल जाता है हर एक इगो
तो जन्म लेता है कोई रिश्ता
जिसने अपने कलेजे में जना हो कोई रिश्ता
जिसने भोगा हो रिश्ते की प्रसव-पीड़ा
वे जानते हैं रिश्ते को
और उसकी तासीर को
हाय !
अब रिश्ते भी बनाये जाते हैं
जैसे बनाये जाते हैं पुल
नदी पार करने को
लगायी जाती हैं सीढ़ियां
चोटी तक जाने के लिए
कंधा दुखने लगता है
और आदमी
अपने रोये में डूब जाता है
+
एक आदमी, जो रिश्ते की मौत पर रो सकता है
वह नहीं ढो सकता, रिश्ते का बोझ
आदमी, जो रिश्ते पर मर सकता है
रिश्ते को, ढो नहीं सकता
खिल उठते हैं, मन के फूल
वजूद बेखुद हो जाता है
और जैसे गर्म तवे पर उड़ जाती है पानी की बूंद
उसी तरह छन-छनाकर घुल जाता है हर एक इगो
तो जन्म लेता है कोई रिश्ता
जिसने अपने कलेजे में जना हो कोई रिश्ता
जिसने भोगा हो रिश्ते की प्रसव-पीड़ा
वे जानते हैं रिश्ते को
और उसकी तासीर को
हाय !
अब रिश्ते भी बनाये जाते हैं
जैसे बनाये जाते हैं पुल
नदी पार करने को
लगायी जाती हैं सीढ़ियां
चोटी तक जाने के लिए
कंधा दुखने लगता है
और आदमी
अपने रोये में डूब जाता है
+
एक आदमी, जो रिश्ते की मौत पर रो सकता है
वह नहीं ढो सकता, रिश्ते का बोझ
आदमी, जो रिश्ते पर मर सकता है
रिश्ते को, ढो नहीं सकता
3 टिप्पणियां:
जन्माष्टमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
बेहतरीन कविता
bahut badiya.....
A Silent Silence : Shamma jali sirf ek raat..(शम्मा जली सिर्फ एक रात..)
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