बुधवार, 5 जनवरी 2011

मोदी नहीं समझ सकते रूपम को

पूर्णिया के विधायक राजकिशोर केसरी मामले पर बिहार में राजनीति शुरू हो गयी है। बिहार भाजपा के क्षत्रप सुशील मोदी तो अपने विधायक के बचाव में खुलकर सामने आ गये हैं। मोदी ने आरोपी महिला रूपम पाठक को हत्यारिन, ब्लैकमेलर तक करार दिया है। संक्षेप में कहें, तो मोदी ने इस प्रकरण की सभी गुत्थी खोल दी है। हास्यास्पद बात यह कि वर्षों से विधायक केसरी और रूपम पाठक को जानने वाले स्थानीय लोग भी अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाये हैं। इसमें वे लोग भी शामिल हैं, जिनका रूपम पाठक और विधायक से आग-पानी का रिश्ता रहा है। लेकिन कोशी और कोशी की संस्कृति के बारे में "एबीसी' भी नहीं जानने वाले मोदी ने बहुत आसानी से नतीजा निकाल दिया है। यह तो वही बात हो गयी कि "ग्वाला के ठट्‌ठा और पड़ोसी के गर्भिन' वाली बात हो गयी।
शायद मोदी को नहीं मालूम कि इस तरह के वाकये को समझने के लिए राजनीतिक दिमाग नहीं, बल्कि आम आदमी के दिल की जरूरत होती है। प्रथम द्रष्टया यह व्यवस्था से निराश होकर इमोशन में उठाया गया मामला लगता है, जिसे राजनीतिक नजरिये से कभी नहीं समझा जा सकता। इसे मोदी जैसे सत्तानसीं शायद कभी नहीं समझ सकेंगे।
क्या यह बात गले के नीचे उतर सकती है कि आज के दौर में सत्ताधारी पार्टी के किसी विधायक को कोई अदना महिला ब्लैकमेल कर सकती है। वह भी तीन-चार साल तक। ब्लैकमेलर की हत्या की बात तो सबने सुनी होगी, लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि ब्लैमेलर ने किसी की हत्या की हो। लेकिन मोदी उसे बेधड़क ब्लैकमेलर हत्यारन कह रहे हैं। मोदी का कुतर्क देखिये, वे कहते हैं कि महिला स्वभाव से लड़ाकिन है, क्योंकि उसने अपने श्वसुर पर भी मुकदमा किया था। इसका क्या अर्थ हुआ ? क्या अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोग पागल होते हैं ? इसका यह अर्थ भी तो हो सकता है कि रूपम पाठक में अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत थी।
हालांकि मैं रूपम पाठक को क्लीन चीट नहीं दे रहा और न ही मैं उसके अपराध की तारीफ कर रहा हूं। यह अन्वेषण का विषय है। भले ही पुलिस कभी भी सच को सामने नहीं ला पाये, लेकिन यकीन मानिये पूर्णिया के स्थानीय लोगों से सच्चाई बहुत दिनों तक छिपी नहीं रहेगी। कोशी के स्थायी बाशिंदे होने के नाते मैं एक बात तो पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं। वह यह कि कोशी की महिला स्वभाव से स्वाभिमानी और विद्रोही होती है। कोशी की महिला हर जुल्म को सह सकती है, लेकिन बलात्कार और यौन शोषण या चरित्र हनन को कभी भी बर्दाश्त नहीं कर सकती। ऐसी परिस्थिति में वह भूल जाती है कि सामने कौन है। चारित्रिक हनन की स्थिति में वह साक्षात काली का रूप धारण कर लेती है। तब वह परवाह नहीं करती कि जिसके खिलाफ वह आवाज उठा रही है वह कितना ताकतवर है।
बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि 10-12 वर्ष पहले भी कोशी में इस तरह का एक हादसा हुआ था। लेकिन तब विधायक बच गया था। बलात्कार के प्रयास कर रहे छातापुर के तत्कालीन विधायक योगेंद्र सरदार को भुक्तभोगी महिला ने बुरी तरह घायल कर दिया था। आज वह महिला पुलिस में कांस्टेबल है। मोदी जैसे लोगों को इस पुलिस कांस्टेबल से जरूर मिलना चाहिए। रूपम पाठक में प्रथम द्रष्टया मुझे कोशी की चरित्र-संवेदी विद्रोही महिला की ही छवि दिखाई दे रही है। मोदी जैसे लोग शायद इस बात को कभी नहीं समझेंगे। और जो समझने वाले लोग हैं, उन्हें किसी की दलील की जरूरत नहीं। वे सब कुछ समझ रहे हैं, क्योंकि पब्लिक सब जानती है।

1 टिप्पणी:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

स बात की पूर्णतः निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और सच का सच झूठ का झूठ सामने आना चाहिए ... इतना बड़ा स्टेप लेना आसान नहीं होता किसी महिला के लिए ..