अवाम होने के मजाक में मुंह मूंदकर रोते जाना आंख खोलकर सोये रहना हमारी नियति नहीं, अवसाद है बगुल-ध्यान में है "मसीहा'' बायें हाथ में जाल, दायें में हथियार है हमेशा आस्तीन में छिपा था जवाब आज भी दर-दर भटक रहा मूल सवाल है
बहुत सुन्दर प्रस्तुति! आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी होगी! सूचनार्थ...सादर! -- आपको रंगों के पावनपर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
3 टिप्पणियां:
बहुत खूब
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बहुत ही प्रभावीरंजीत जी ...
आवाम का यही हाल है ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ...सादर!
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आपको रंगों के पावनपर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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