मंगलवार, 26 अक्टूबर 2010

कुछ गूंगी और कुछ बहरी तस्वीरें

दहाये हुए देस का दर्द-69







यह कौन-सी जगह है, यह कैसा दयार है ? किसका निजाम है यह, यहां किसकी हुकूमत है ? इन चित्रों को देखकर आपके मन में भी ये सवाल उठ सकते हैं। जिनके जवाब हैं- यह पूर्वोत्तर बिहार के सुपौल-अररिया जिले का एक इलाका है, दो साल पहले कोशी की बाढ़ में ये पुल ध्वस्त हो गये थे, यहां पिछले पांच साल से तथाकथित विकास पुरुष नीतीश कुमार की हुकूमत है। अगली हुकूमत के लिए जनादेश संकलन का काम फिलहाल चल रहा है। कोशी अंचल में यह पूरा हो चुका है। चुनाव में ये तस्वीरें किसी दल के लिए मुद्दे नहीं थीं। किसी पार्टी के किसी नेता को ये तस्वीरें नजर नहीं आयीं । जी हां, अब तस्वीरें चुनाव के मुद्दे नहीं होते। सिर्फ और सिर्फ "नाम'' ही मुद्दा होता है। नेताओं के नाम ही मुद्दे होते हैं। मसलन एक मुद्दे का नाम नीतीश कुमार है, दूसरे मुद्दे का नाम लालू प्रसाद है, तीसरे का नाम राहुल गांधी है। लेकिन जनता है कि "नाम'' को ही मुद्दा मान बैठी है। मसलन नीतीश माने "विकास'', लालू माने "जातिवाद'' और राहुल माने "युवा''। मेरी खोपड़ी तो यही कहती है ! यह मौजूदा राजनीतिशास्त्रके सापेक्षवाद का सिद्वांत है, जहां गरीबी का गरीब से और तस्वीरों का तदवीर से कोई नाता-रिश्ता नहीं होता है। अगर यह सच नहीं होता, तो ये तस्वीरें इस चुनाव में हर जगह बोल रही होतीं ; इस कदर गूंगी-बहरी नहीं होतीं ।
(ये तस्वीरें सुपौल जिले के इंजीनियरिंग के एक छात्र सौरभ कुमार झा ने उपलब्ध करायी, उन्हें धन्यवाद)

2 टिप्‍पणियां:

दीपक बाबा ने कहा…

यह कौन-सी जगह है, यह कैसा दयार है ? किसका निजाम है यह, यहां किसकी हुकूमत है ?


लेकिन यही सब सत्य है.......
नग्न सत्य.

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

sundar

http://sanjaykuamr.blogspot.com/