रविवार, 25 सितंबर 2011

जहर से प्यार


  विषधर कब नहीं थे
  विषधर आज भी हैं
  अंदर-बाहर हर जगह
  वे घर में है देवता की तरह
  बाहर विजेता की तरह
  विषधरों से हमारी आदिम संगति है
  विषधरों से डरना, हमारी नियति है
  हमें सिखाया गया है सांप के बारे में 
  सांप के जहर के बारे में
  जहर, जहर है-  मारता है
  जहर, आग है-  जलाता है
  लेकिन सांप हर रात सपने में आ जाता है
  काटता है
  दंश के चिह्न बनते हैं
  ज्यों-ज्यों जहर चढ़ता है
  चिह्न सुन्न पड़ते जाते हैं
  सांप हंसता है
  भाषण और प्रवचन देता है
  रोजाना ट्विट करता है
  बताता है
  जहर अगर बाहर हो, तो जहर है
  अंदर आते  ही, अमृत होता है

  तुम क्या जानो जहर की बात
  जब जबड़े में जन्मेगा जहर का गाछ
  तुम्हें भी हो जायेगा, जहर से प्यार

1 टिप्पणी:

रविकर ने कहा…

बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ||