रंजीत
सुनामी ! जी हां, नदीनिर्मित सुनामी !! सरकार निर्मित सुनामी !!! कल ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ प्रभावित इलाका का दौरा किया था , लेकिन उनके अधिकारियों को शायद भयानक दृष्टिदोष हो गया था या फिर उन्होंने गांधारी की तरह आंख पर पट्टी बांध ली थी कि उन्हें हजारों की संख्या में बहती लाशें नहीं दिखी। फारबिसगंज से एक बाढ़ प्रभावित ने बताया है कि तिलावे धार से होकर दर्जनों की संख्या में लाशें बह रही हैं। ये लाशें तटबंध टूटने के बाद विकसित हुई मुख्य धारा के आसपास के गांवों की हैं। ऐसे तो भयानक रूप से प्रभावित बसंतपुर अनुमंडल से लेकर ग्वालपाड़ा तक के इलाके की फोन सेवाएं ध्वस्त हो चुकीं हैं और इसके कारण वास्तविक तस्वीर से पूरी दुनिया अज्ञात हैं। लेकिन विभिन्न स्रोतों से जो खबर मुझे मिल रही है उसके मुताबिक बसंतपुर से ग्वालपाड़ा के बीच अवस्थित लगभग तीन सौ गांवों में भारी जानमाल की हानि हो चुकी है। क्योंकि ये क्षेत्र नदी के उदर में समा चुके हैं। वीरपुर, भीमनगर शहर और सीतापुर, बबुआन, घूरना, तिलाठी, टड़हा, कोरियापट्टी,बलुआ बाजार, छातापुर, राजेश्वरी जैसे गांवों में अबतक सैकड़ों मौतें हो चुकी है। लगभग सभी मीडिया हाउस के रिपोर्टर पूर्णिया शहर में कैंप किए हुए हैं, जहां से हादसे की सही तस्वीर का पता लगाना असंभव है। सभी मीडिया हाउस अनुमान के आधार पर समाचार दे रहे हैं, क्योंकि स्थानीय रिपोर्टर से उनका संबंध स्थापित होना नामुमकिन है। लेकिन सरकार को कुछ भी नहीं दिख रही। न ही राज्य सरकार को और न ही केंद्र सरकार को ! यह महाशक्ति बनने का दावा करने वाले भारत का सच है कि वह एक तटबंध को नहीं बचा पा रहा।
सोमवार, 25 अगस्त 2008
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