1
आदमी के भेष में जिंदा आदमी
बहुत दूर हो गया आदमियत से
हालांकि गलतफहमी बनी रही
कि वे एक पति , एक पत्नी , एक भाई और एक नागरिक हैं
कि उसके पास विश्वविद्यालय की बड़ी-बड़ी डिग्रियां हैं
कि उसके पास गाड़ी-बंगला और भारी एकाउंट भी हैं
लेकिन आदमी
बेकरार हो जाता अक्सर
शर्महीन संसर्ग के लिए
किसी जवान- गौरी-चिट्ठी नवयौवना के वास्ते तत्काल तलाक के लिए
किसी लंबे-तगड़े मनमाफिक हमविस्तर के वास्ते आखिरी मुकदमा के लिए
2
आदमी के भेष में जिंदा आदमी
आदमी के बीच था
पर आदमी नहीं था
वह हर रिश्तों से इतर
और तमाम एहसासों अनभिज्ञ था
जैसे अनजान होता है एक कुता, एक भेड़िया, एक भैंसा
अपने ही मां-बाप, भाई और बहनों से
3
आदमी के भेष में जिंदा आदमी
उत्तर-आधुनिक युग में था
वह नित नया कानून बनाता था
और उसे बेहिचक तोड़ता चला जा रहा था
वह हंसना भूल चुका था
और प्रेम करना भी
वह हर डर से निडर हो चुका था
रक्तों में नहाकर भी वह बेफिक्र था
जैसे कुछ हुआ ही नहीं
जैसे कुछ होगा ही नहीं
4
आदमी के भेष में जिंदा आदमी
बहुत दूर हो गया आदमियत से
और डार्विन सिद्वांत के
काफी नजदीक पहुंच चुका था
आदमी के भेष में जिंदा आदमी
बहुत दूर हो गया आदमियत से
हालांकि गलतफहमी बनी रही
कि वे एक पति , एक पत्नी , एक भाई और एक नागरिक हैं
कि उसके पास विश्वविद्यालय की बड़ी-बड़ी डिग्रियां हैं
कि उसके पास गाड़ी-बंगला और भारी एकाउंट भी हैं
लेकिन आदमी
बेकरार हो जाता अक्सर
शर्महीन संसर्ग के लिए
किसी जवान- गौरी-चिट्ठी नवयौवना के वास्ते तत्काल तलाक के लिए
किसी लंबे-तगड़े मनमाफिक हमविस्तर के वास्ते आखिरी मुकदमा के लिए
2
आदमी के भेष में जिंदा आदमी
आदमी के बीच था
पर आदमी नहीं था
वह हर रिश्तों से इतर
और तमाम एहसासों अनभिज्ञ था
जैसे अनजान होता है एक कुता, एक भेड़िया, एक भैंसा
अपने ही मां-बाप, भाई और बहनों से
3
आदमी के भेष में जिंदा आदमी
उत्तर-आधुनिक युग में था
वह नित नया कानून बनाता था
और उसे बेहिचक तोड़ता चला जा रहा था
वह हंसना भूल चुका था
और प्रेम करना भी
वह हर डर से निडर हो चुका था
रक्तों में नहाकर भी वह बेफिक्र था
जैसे कुछ हुआ ही नहीं
जैसे कुछ होगा ही नहीं
4
आदमी के भेष में जिंदा आदमी
बहुत दूर हो गया आदमियत से
और डार्विन सिद्वांत के
काफी नजदीक पहुंच चुका था