बिहार की धरती दर्शन और अध्यात्म के लिए सदियों से प्रसिद्ध रही है। आदि काल में बुद्ध, महावीर, नागार्जुन, गार्गी, मैत्रयी और याज्ञवलक्य ने बिहार का मान बढ़ाया तो प्राचीन काल में चाणक्य ने अपने तत्व ज्ञान से दुनिया को चकित किया। आधुनिक काल में महिर्षी मेंही ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। यही कारण है कि बिहार में संन्यासियों और मठों की संस्कृति हमेशा से रही है। लेकिन अब मठ अध्यात्म और साधना नहीं, बल्कि भोग, व्यभिचार, यहां तक कि हिंसा के केंद्र बन रहे हैं। भागलपुर का साध्वी कांड इसकी ताजा नजीर है। इस मुद्दे पर द पब्लिक एजेंडा ने पिछले अंक में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। ऊपर की तस्वीर क्लिक कर इसे आप पढ़ सकते हैं। मैग्जीन की वेबसाइट पर भी रिपोर्ट उपलब्ध है। - रंजीत
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रविवार, 23 सितंबर 2012
बढ़ता भोग उजड़ते मठ
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