
यह भ्रष्टाचार का महाकाल है। इसलिए अधिकतर की मति मारी जा चुकी है। आंख रहते अंधे और कान होते बहरे होने का युग-दोष भारत को ग्रस चुका है। लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने अपने नैतिक दायित्व को निभाहते हुए जवान खोली है। यह साहस का काम है। महाकाल के इस भयानक बेईमान समय में मुख्य न्यायाधीश ने एक आवाज लगायी है। यह आवाज़ नहीं चेतावनी -हार्न है । शायद उनकी आवाज दूर तक जायेगी। जानी चाहिए । अगर यह आवाज भी नहीं सुनी गयी, तो यकीन मानिये हमें जगाने और हार्न बजाने के लिए कोई अवतार नहीं होने वाला।
कहते हैं कि किसी भी देश का भविष्य उसका युवा वर्ग तय करता है। लेकिन देश के युवा क्या भ्रष्टाचार के इस आपादमस्तक व्याप्त वायरस को नहीं देख रहे ? युवाओं ! भ्रष्टाचार ने हमारे भविष्य को कैद कर लिया है। यह जींस और गोगल्स का वक्त नहीं, देश को बचाने के लिए आगे आने का वक्त है। जरा सुनो, तो मुख्य न्यायाधीश ने क्या कहा है ?
क्या कहा मुख्य न्यायाधीश ने
1 सभी महत्वाकांक्षी योजनाएं बिचौलियों व दलालों के चंगुल में
2 रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा
3 राशन कार्ड, बिजली और पानी के कनेक्शन में भी भ्रष्टाचार
4 भ्रष्ट अधिकारियों की संपत्ति जब्त की जाये
5 ठगा महसूस कर रहा है आम आदमी
मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन ने कल शनिवार (१२-09) को दिल्ली में कहा कि नरेगा सहित गरीबों और दलितों के उत्थान के इरादे से शुरू की गयी लगभग सभी महत्वाकांक्षी योजनाएं बिचौलियों और दलालों के चंगुल में फंसकर तड़प रही हैं। उन्होंने कहा कि देश में चारों ओर भ्रष्टाचार का बोलबाला है। भ्रष्टाचार की जद में न्यायपालिका भी आ चुकी है। वह भ्रष्टाचार से संबंधित अपराधों के खिलाफ़ लड़ाई के मुद्दे पर सीबीआइ की ओर से अायोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा- जनवितरण प्रणाली भी भ्रष्टाचार का ग़ढ बना हुआ है। चाहे राशन कार्ड बनवाना हो या बिजली और पानी का कनेक्शन लेना हो, सब जगह भ्रष्टाचार है। इस पर अंकुश लगाने की जरत है। आम आदमी इसका सबसे बड़ा शिकार बन रहा है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से न्यायपालिका भी अछूती नहीं है। यह अत्यंत दुखद है। न्यायपालिका का अर्थ केवल न्यायाधीशों से ही नहीं, अपितु न्याय प्रणाली से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़े सभी लोगों से है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से सबसे ज्यादा प्रभावित आम आदमी होता है, जो कदम-कदम पर खुद को ठगा हुआ सा महसूस कर रहा है। उन्होंने हवाला कारोबार के जरिये आतंकियों को धन उपलब्ध कराने और रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा तो है ही, कानून व्यवस्था भी इससे प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि विदेशों में भ्रष्टाचार को मौलिक मानवाधिकारों के उल्लंघन का महत्वपूर्ण कारण समझा जाने लगा है, लेकिन भारत का कानून कुछ अलग तरह का है। उन्होंने भ्रष्टाचार में शामिल व्यक्तियों को शत-प्रतिशत सजा दिलाने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि इसके लिए अभियोजन एजेंसियों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। अभियोजन एजेंसियां ज्यादा जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि अपराधियों के छूट जाने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार अभियोजन एजेंसियां होती हैं। मजबूत अभियोजन और सटीक गवाही के अभाव में अपराधियों के रिहा होने से उस मुकदमे का निस्तारण करनेवाले न्यायाधीश को भी हताशा होती है। ऐसे अपराधियों को सजा सुनिश्चित कराने के लिए देश में सशक्त व प्रभावी अभियोजन एजेंसियों की आवश्यकता है।
3 टिप्पणियां:
ASAL BAAT HO TAB HO AGAR UNKI BAAT KOI SARKAAR MAAN AUR USE GAMBHEERTA SE LE .....
मुख्य न्यायाधीश ने जो कहा सही कहा। पर न्याय-प्रणाली में से भ्रष्टाचार मिटाने की उन की योजना क्या है इस पर प्रकाश नहीं डाला।
प्रशंसनीय प्रयास।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
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