1
विश्व का नक्शा बहुत पेचीदा है
आड़ी-तिरछी रेखाओं की "ओझरी" है दुनिया
एटलस पर छड़ी रखकर
बताया था विद्यालय के "मास्साब" ने
यह अमेरिका और यहां रहा सीरिया
कांगो, सोमालिया,वाशिंगटन,जेनेवा से वियतनाम तक
देश-देश, दरिया-दरिया
समंदर से ज्वालामुखी तक
घूमती थी ''मास्साब'' की छड़ी
पर हर बार छूट जाती थी धरती
धरती का नमक
आड़ी-तिरछी रेखाओं की "ओझरी" है दुनिया
एटलस पर छड़ी रखकर
बताया था विद्यालय के "मास्साब" ने
यह अमेरिका और यहां रहा सीरिया
कांगो, सोमालिया,वाशिंगटन,जेनेवा से वियतनाम तक
देश-देश, दरिया-दरिया
समंदर से ज्वालामुखी तक
घूमती थी ''मास्साब'' की छड़ी
पर हर बार छूट जाती थी धरती
धरती का नमक
धरती की गमक
जीवन
राग-द्वेष और क्रंदन
हालांकि पिघलती बर्फ
उजड़ते अफ्रीका
सूखती दरिया
उसर होती जमीन
धूसर होते रंग
और बढ़ते क्रंदन के बावजूद
धरती अब तक बची हुई थी
बूढ़ी, बीमार, उपेक्षित मां की तरह
2
राग-द्वेष और क्रंदन
हालांकि पिघलती बर्फ
उजड़ते अफ्रीका
सूखती दरिया
उसर होती जमीन
धूसर होते रंग
और बढ़ते क्रंदन के बावजूद
धरती अब तक बची हुई थी
बूढ़ी, बीमार, उपेक्षित मां की तरह
2
ग्लोब पर कान लगाओ
कान फट जायेगा
''एक्स-एक्स'' की चीख से
दिल दहल जायेगा
कान फट जायेगा
''एक्स-एक्स'' की चीख से
दिल दहल जायेगा
अजन्में भ्रूणों की मृत्यु-कराह
वियतनाम से वेंकूवर तक फैली हुई है
स्त्री-लिंगी कोंपलें कट रही हैं
वियतनाम से वेंकूवर तक फैली हुई है
स्त्री-लिंगी कोंपलें कट रही हैं
''बांसों'' में बहस है
लेकिन स्त्री-कोंपलों की कटाई पर मौन सहमति है
3
कविता की आंख से देखो
तो कलई खुल जाती है
विश्व की
विश्व महिला दिवस की
जिसे मनाने के लिए
जेबी में एक पुड़िया "महिला-रंग" ही काफी है
संपादकों की सूची तैयार है
"महिला-पुरुषार्थों" की कुछ गाथाएं
प्रकाशित होंगी, ऐन महिला दिवस पर
वे महिलाएं जो सफल होकर "पुरुष" हो गयीं
सबको बतायी जायेंगी
सबको दिखायी जायेंगी
सरकारें और संस्थाएं घोषणाएं करेंगी
महिला दिवस पर
और ग्लोब मारे गये महिला-भ्रूणों से भर जायेगा
4
महिला दिवस मनाने के लिए
एक चुटकी "महिला-रंग" की जरूरत न पड़े
इसलिए मैंने खुद को थोड़ी स्त्री की
स्त्री होकर देखा
दिखाई दी धरती
जो जनना छोड़ रही है
दिखाई दिया बीज
जो अंकुरना भूल रहा है
दिखाई दी बेटियां
जो जवान होना नहीं चाहतीं
याद आये ''मास्साब''
और ''मास्साब'' की छड़ी
एक दीवार
दीवार पर लगे निर्जीव एटलस
और एटलस पर टंगे देश
पीली बांस की तरह निष्प्राण और आर्कषण-हीन
ताकि अनिद्रा न हो
मैंने स्मरण की ग्लोब छोड़ चुकी दादी को
भूली हुई लोरियों को
और इस तरह
मैंने बचा ली एक कविता
और
लेकिन स्त्री-कोंपलों की कटाई पर मौन सहमति है
3
कविता की आंख से देखो
तो कलई खुल जाती है
विश्व की
विश्व महिला दिवस की
जिसे मनाने के लिए
जेबी में एक पुड़िया "महिला-रंग" ही काफी है
संपादकों की सूची तैयार है
"महिला-पुरुषार्थों" की कुछ गाथाएं
प्रकाशित होंगी, ऐन महिला दिवस पर
वे महिलाएं जो सफल होकर "पुरुष" हो गयीं
सबको बतायी जायेंगी
सबको दिखायी जायेंगी
सरकारें और संस्थाएं घोषणाएं करेंगी
महिला दिवस पर
और ग्लोब मारे गये महिला-भ्रूणों से भर जायेगा
4
महिला दिवस मनाने के लिए
एक चुटकी "महिला-रंग" की जरूरत न पड़े
इसलिए मैंने खुद को थोड़ी स्त्री की
स्त्री होकर देखा
दिखाई दी धरती
जो जनना छोड़ रही है
दिखाई दिया बीज
जो अंकुरना भूल रहा है
दिखाई दी बेटियां
जो जवान होना नहीं चाहतीं
याद आये ''मास्साब''
और ''मास्साब'' की छड़ी
एक दीवार
दीवार पर लगे निर्जीव एटलस
और एटलस पर टंगे देश
पीली बांस की तरह निष्प्राण और आर्कषण-हीन
ताकि अनिद्रा न हो
मैंने स्मरण की ग्लोब छोड़ चुकी दादी को
भूली हुई लोरियों को
और इस तरह
मैंने बचा ली एक कविता
और
मानस की महिला
थोड़ा-सा दिवस
कुछ परियां
थोड़ा-सा दिवस
कुछ परियां
परियों की कहानियां
और
थोड़ी-सी दुनिया
और
थोड़ी-सी दुनिया
5 टिप्पणियां:
बेहद गहन रचनायें।
अद्भुत बिम्ब प्रयोग सहित सशक्त रचनाएं....
सादर.
Aabhar aap sab ka. is post ko charcha manch me shamil karne ke liye shukriya Ravikar jee
बहुत सशक्त रचनाएँ ....
bahut-bahuy dhanyawad Kailash jee.
एक टिप्पणी भेजें