शुक्रवार, 18 दिसंबर 2009

इब्दिता से पहले तय था अंजाम (कोपेनहेगन-15)

कोपेनहेगन-15 ! बहुत आस थी, लेकिन अंजाम तय था । वार्ता खात्मे की ओर है। लेकिन कुछ भी कांक्रिट समझौता नहीं हुआ।पर्यावरण प्रेमी निराश होकर डेनमार्क छोड़ रहे हैं, तो कुछ इसे पिकनिक विजिट की तरह भी ले रहे हैं। विश्वास नहीं हो, तो देखिये उपरोक्त तस्वीर।


पैसे से जीत लेंगे जग ! पर्यावरण संकट के मुद्दे पर भी अमेरिका का अहं सामने आ गया। अमेरिका के विदेश मंत्री ने कहा कि गरीब देश कार्बन उत्सर्जन घटाये हम उन्हें प्रति वर्ष एक सौ बिलियन डॉलर देंगे। लेकिन खुद अपनी राजशी ठाठ में कमी नहीं लायेंगे और कार्बन की रफ्तार जारी रखेंगे। लेकिन जिन्हें पैसे देंगे उसकी थानेदारी भी करेंगे कि वह कार्बन उत्सर्जन घटा रहा है कि नहीं।

क्या यही बाकी निशा होगा ! डेनमार्क के समुद्र तट पर पर्यावरण संकट और मानव जाति के भविष्य को लेकर चिंतित मानव-बूत !

अब क्या करेंगे द्वीपीय देश ! सलाह बेमुनासिब नहीं है।

नक्कारखाने में तूती की आवाज ! किसी ने नहीं सुनी पर्यावरण प्रेमियों की अपील।अब क्या करेंगे





3 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

अच्छी तस्वीरें, अच्छी जानकारी।

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

badhiya rachana
bahut -2 badhaiyan

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जिस खेल में राजनीति आ जाती है उस की सफलता पर प्रश्न चिन्ह लगना तो तय ही है .........