बुधवार, 7 जनवरी 2009

चौठी कमार ने भी खरीदा मोबाइल

सत्तर की उम्र में
पांच मन पटसन, दो मन धान, तीन पसेरी तोड़ी और
बुढ़िया की हंसुली बेचकर
आखिरकार
चौठी कमार ने खरीद ही लिया मोबाइल
सात दिनों तक सुबह-शाम सेर भर दूध पहुंचाया
सरपंच के बेटे को
फिर भी नहीं आया
बटन दबाना और हैल्लो-हैल्लो करना
इसलिए, जब बजता है मोबाइल
तो सरपट भागता है चौठी, सरपंच के घर की ओर
हंसते छोकरों की परवाह किये बगैर
सोचता है चौठी
कौन होगा ?
बलरामा या सीतरामा ?
जो भी हो , चौठी दोनों को शीघ्र गांव लौटने के लिए कहेगा
टूटे घर और बुढ़िया की बीमारी बतायेगा
और हां, सुनायेगा चौठी बड़े लड़के सीतरामा को
चितकवरी बछिया का हाल
कि वह गर्भिन है और जल्द बच्चा देने वाली है
बलरामा को पहले जी भरके गलियायेगा
फिर छोटकी बहु भीमपुर वाली का हाल भी सुना देगा
कि वह बड़ी मुंहजोर हो गयी है
कि उसकी चाल-ढाल ठीक नहीं है
कि वह बात-बात पे मायके भागने की धमकी देती है
खुद नौ बजे तक सोती है और
गाय-भैंस का कुट्टी-सानी बुढ़िया से कराती है
तीसवें दिन
मोबाइल घिंघियाया
लेकिन चौठी बैठे रहा
घर के कोने में भीमपुर वाली से देर तक बतियाता रहा- बलरामा
सोचता है चौठी
क्यों बेच दी उसने बुढ़िया की हंसुली
कितना सच है यह झूठ
कि बुढ़ापे में बाप नहीं बना जा सकता

(हंसुली- कोशी अंचल में पहने जाने वाले चांदी का गलहार, पटसन- जूट, तोड़ी- सरसो, कुट्टी-सानी - मवेशी के चारे-पानी का इंतजाम, मुंहजोर- झगड़ालू )

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

bahut accha likha hai aapne...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

गाव की, बूढे बाप की यंत्रणा को प्रभावी ढंग से परोसा है रचना मैं..............अच्छा लिखा है