गुरुवार, 13 अगस्त 2009

मैं हारा तीन वर्ष की बच्ची से

वह महज तीन वर्ष कुछ महीने की है। वह बहुत बोलती हैऔर तुतलाती भी नहीं। वह या तो सवाल करती है या फिर टेलीविजन पर चलने वाले गाने गाती है। सवाल-जवाब में वह अक्सर हमें मात दे देती है और मैं उससे हर दिन हार जाता हूं। अमूमन बाप अपने बच्चे से हारकर प्रसन्न होता है, लेकिन मैं अपनी तीन वर्ष कुछ महीने की बेटी से हारकर प्रसन्न नहीं होता, हालांकि दुखी भी नहीं होता। हां, चिंतन में जरूर डूब जाता हूं।
कल रात कोई किताब पढ़ रहा था। वह आ धमकी।
उसने पूछा- "पापा ! आप क्या कर रहे हैं ?'
मैंने कहा- "बेटा, किताब पढ़ रहा हूं ?'
उसने पूछा- "पापा, किताब पढ़ने से क्या होता है ?'
मैंने कहा- "बेटा, किताब पढ़ने से बहुत जानकारी मिलती है और और आदमी की बुद्धि बढ़ती है।'
उसने कहा- "पापा, बुद्धि बढ़ाने से क्या मिलता है ?'
मैंने कहा-"बुद्धि हमें इस दुनिया में रहना सिखाती है ?'
उसने कहा- "किस दुनिया में ?'
मैंने कहा- " ... जिसमें हम, तुम और तुम्हारी ममी रहते हैं ।'
उसने कहा- "पापा यह दुनिया बहुत गंदी है।'
अब सवाल मैंने किया - " क्यों बेटा ?'
उसने जवाब दिया- "... इस दुनिया में लोलबाली, बेंकुला, हकुलदत्त रहता है। ममी कहती हैं कि मैं अगर पैंट में सुशू करूंगी और टेबल पर चढ़कर कुदूंगी तो वह मुझे पकड़ लेगा। मैं जब भी आलमारी से आपका और ममी का कुछ लेती हूं, लोलबाली मुझसे छिन लेती है। इसलिए यह दुनिया गंदी है...'
इसके बाद मैं पराश्त हो गया और गहरे चिंतन में डूब गया....

2 टिप्‍पणियां:

सुशील छौक्कर ने कहा…

अजी हम भी रोज ही अपनी बेटी से हारते है। बच्चों के सवाल के जवाब देते नही बनते जी। खैर बेटियाँ ऐसे ही उछलती कूदती रहे। हमारा प्यार और आशीर्वाद देना।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

APNE BACHHON SE SAB HAAR JAATE HAIN RANJEET JI....KUCH PYAAR MEIN KUCH MAAYUSI MEIN...... BITIYA BAHOOT PYAARI HAI.....SAMJHAAYENGE TO SAB KUCH SAMAJH JAAYEGI...