मंगलवार, 3 मार्च 2009

कहती हैं लड़कियां- मैं प्रेम नहीं करता

रक्तों से सने और आंसुओं से नहाये
इस अतिरोमाण्टिक दौर में
जब ईश्वर
सीजोफ्रेनिक भक्तों से डरकर मंदिर-मस्जिद छोड़ गये हैं
और बड़े-छोटे पर्दों ने मिलकर
प्रेम का आखिरी अर्थ खोज लिया है
कि प्यार-मोहव्वत और इश्क
अंततः नितंबो-वक्षों-कुल्हों-शिश्णों का मेल ही है
तब
जानना चाहती हैं लड़कियां
कि प्रेम के प्रति मुझमें कोई रूचि क्यों नहीं है
कि क्यों मैं उनके बीच रहते हुए भी कहीं और रहता हूं
मेरे बासी चेहरे पर भेदती निगाह डाल
पारित कर देती हैं प्रस्ताव- लड़कियां
कि मैं एक हृदयविहीन प्राणी हूं
कि मैं बहुत ठस्स और रूखड़ा हूं
कि मैं वह नहीं जो दिखता हूं
एक लड़के का प्रेमिकाविहीन होना
कितनी बड़ी बात है, शहर में
गलबहिया डाले बगैर पार्क में बैठने के
के कितने मायने हो सकते हैं
तब और भी ज्यादा
जब आप परीक्षा में प्रथम आ रहे हों
और सेमिनार व सभा में
भूख-बेरोजगारी, मौत-आतंक और
भ्रष्टाचार पर कुछ बोल गये हों
प्रेम में डूबने को आतुर लड़कियां
नहीं डूबना चाहती कोसी की बाढ़ में
सेहरावत और धूपिया से सम्मोहित लड़कियों को
स्माइल पिंकी की चर्चा से चिढ़
26/11 से झुंझलाहट
3/3 से अकुलाहट
और मंदी से बौखलाहट होती है
हालांकि
ये यूनीवर्सिटी के लाइब्रेरी में अक्सर
टॉपर लड़कों के साथ बैठती हैं
कॉमरेड - टाइप कुर्ता भी इन्हें पसंद है
बारूद-भूख, बाढ़-कराह के मुद्दे से भी इन्हें परहेज नहीं
लेकिन महज उतना
जितने से एक क्षणिक रोमांच हो जाये
कुछ-कुछ वैसा ही जैसा
नजर बचाकर किस करने के दौरान होता है
लड़कियां , जो अभी-अभी ग्रेजुएट की हैं
अभी-अभी ब्याय फ्रेंड के साथ सिनेमा हॉल से निकली हैं
अभी-अभी दोपहिये बाहन के पीछे बैठी हैं
मुझसे कहती हैं- मैं प्रेम नहीं करता




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