पत्रकारों के लिए नेपाल विश्व का आठवां सबसे खतरनाक देश बन गया है। हाल में ही अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन, कमेटी टू प्रोटेक्ट जनर्लिस्ट (सीपीजे) ने यह घोषणा की। गौरतलब है कि यह संस्था हर साल दुनिया में प्रेस की स्थितियों और पत्रकारिता के अन्य पहलुओं पर इंडेक्स जारी करती है। संस्था ने अपने हालिया इंडेक्स में कहा है कि दुनिया के 14 देशों में पत्रकारों के जानमाल पर गंभीर संकट है और इन देशों की सरकार पत्रकारों पर हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में या तो असक्षम है या फिर वे जानबूझकर उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करना चाहती। इस इंडेक्स में इराक सबसे ऊपर है। इसके बाद क्रमशः सियरालियोन, सोमालिया, श्रीलंका, कोलंबिया , फिलीपिंस और अफगानिस्तान हैं। इस सूची को जारी करते हुए सीपीजे ने कहा है कि नेपाल में पिछले एक साल में एक दर्जन पत्रकारों की हत्या हुई तथा कई दर्जनों केऊपर हमले हुए । इसके अलावा अन्य तरीकों से भी पत्रकारों का उत्पीड़न हुआ, लेकिन किसी भी मामले में सरकार की ओर से कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई। सबसे हैरत की बात यह है कि इस सूची में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र का दावा करने वाले भारत का नाम भी शामिल है। भारत सूची में सबसे नीचे यानी 14वें नंबर पर है। इसके बावजूद यह भारत के लिए शर्मनाक बात है, क्योंकि सूची में शामिल अन्य देशों में राजनीतिक अस्थिरता के साथ-साथ गृह यृद्ध जैसे हालात हैं और वहां कानून -व्यवस्था का कमजोर होना लाजिमी है। लेकिन भारत, जहां के राजनेता अंतरराष्ट्रीय मंचों पर राजनीतिक और प्रशासनिक स्थिरता की बात करते नहीं थकते, तब भारत का इस सूची में शामिल होना काफी चिंता की बात है।
मंगलवार, 24 मार्च 2009
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1 टिप्पणी:
क्या बात करते हैं जी आप, नेपाल तो अब हिन्दू राष्ट्र भी नहीं रहा और उधर "लाल-लाल" क्रांति भी हो चुकी है… ज्योति बसु और करात से पूछिये वहाँ सब शांति है, खुशहाली है… लगता है आप "साम्प्रदायिक" ताकतों के बहकावे में आ गये हैं… :) :)
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