मंगलवार, 26 मई 2009

शायद भविष्य के लिए

1
आज नहीं, तो कल
जवानी में नहीं, तो शायद बुढ़ापे में
सौ से नहीं, तो शायद हजार से
नकदी से नहीं, तो उधार से
खुरपी से नहीं, तो कुल्हाड़ से
जीकर नहीं, तो मरकर ही सही
हमें नहीं, तो हमारे बेटे-पोते को ही
शायद वे सब कुछ होंगे
गांव में आलीशान मकान, मकान में नौकर और बैंकों में खाते
2
आज नहीं, तो कल
मेहनत से नहीं, तो रिश्वत से
छोटी -मोटी घूस या फिर फिक्सड कमीशन से
पहले चोरी-चोरी फिर सीनोजोरी से
दलाली, बेईमानी और झूठखोरी से
आंसुओं के सौदे से हो या फिर मासूमों के लहू से
लेकिन एक दिन
हमारे वश में होगा यह शहर
इस की आयतें और क्लास-वन स्टेटस
वीआइपी कॉलोनी की शानदार इमारतें, एसी गाड़ियां और सारी सुंदर छोड़ियां
3
आज नहीं, तो कल आयेगा
बैलेट नहीं, तो बुलेट से
तुष्टीकरण, पुष्टीकरण या फिर मुष्टिकरण से
हिन्दू नहीं, तो मुस्लिम से
अगड़े नहीं, तो पिछड़े से
दंगा से या फसाद से
घपले या घोटाले से
या फिर आले दर्जे की मक्कारी से
एक दिन
हमारे हाथ भी आयेंगे
ये कुर्सी, ये सत्ता, वो शक्ति वो रुतवा
उपसंहार
माटी कहे कुम्हार से तू क्या रौंदे मोहि
एक दिन ऐसा आयेगा मैं रौंदूंगा तोहि
 
 
 

1 टिप्पणी:

kalpana lok ने कहा…

kitne saralta se apne bahut kuch kah dia.