इंकलाब से इत्तेफाक रख
दर- फतह को सब्र कर
बढ़ रही है आग
बस, थोड़ा इंतजार कर।
दर- फतह को सब्र कर
बढ़ रही है आग
बस, थोड़ा इंतजार कर।
हठ अपने रद्द कर
अब भी पाप जब्त कर
हर किला दहायेगा
उफन रहा जनता का नद
अब भी पाप जब्त कर
हर किला दहायेगा
उफन रहा जनता का नद
घास को न फूस कर
बस्ती को न ठूठ कर
धुआं उठा है धौड़ा में
तू आखिरी आराम कर ।
बस्ती को न ठूठ कर
धुआं उठा है धौड़ा में
तू आखिरी आराम कर ।
6 टिप्पणियां:
वाह बेहतरीन !!
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
कहा ठीक ही आपने सुलग रही है आग।
सहने की सीमा खतम बजे क्रांति का राग।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.
धौड़ा शब्द का अर्थ क्या है ?
bahut hee sundar ...kamaal andaaj hai yaaar aapkaa to....
मनीष जी, धौड़ा एक देशज शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- घर। लेकिन देश के अलग-अलग भागों में इसके आशय में थोड़ी-थोड़ी भिन्नताएं हैं। झारखंड में आदिवासी समुदाय अपने आशियाने को धौड़ा कहते हैं जबकि बिहार के गांवों में धौड़ा का अर्थ होता है- सिर टिकाने की जगह। राजस्थान में गांवों की बस्तियों-टोलों को धौड़ा कहा जाता है। इस कविता में धौड़ा से मेरा आशय "गरीबों के घर ' से है। पहले के लेखक इस शब्द का प्रयोग खूब करते थे, इधर इसका इस्तेमाल कम हो गया है । वैसे मोहम्मद रफी का एक गाना आपको याद होगा- बस्ती-बस्ती धौड़ा-धौड़ा गाता जाये बंजार ... आप सबों का आभार।
रंजीत
kya khub likha. fir se sine ki aag ddhahk uthi.
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