उत्तर बिहार, असम, अरुणाचल प्रदेश और नेपाल में सदियों से बांस से तरह-तरह की कलाकृति बनायी जाती रही है। बांस आधारित लोक तकनीक इन इलाकों में कभी इतनी समृद्ध थी कि इससे घरेलू उपयोग के तमाम समानों के अलावा तरह-तरह के खिलौने, मूर्तियां, गहने आदि बनाये जाते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह लोक कला लगभग लुप्तप्राय हो गयी है। लेकिन आज भी पूर्वी नेपाल के सुनसरी और सप्तरी जिले में बांस-तकनीक जिंदा है। सुनसरी के एक होटल के सामने बांस से बने ये कछुए इस बात के प्रमाण हैं । इस कलाकृति के कारण आजकल इटहरी का यह होटल आकर्षण का केंद्र बन गया है।
(यह जानकारी सप्तरी नेपाल के पत्रकार धीरेंद्र कुमार बसनैत ने मुहैया करायी और तस्वीर कांतिपुर डाट कॉम से साभार )
(यह जानकारी सप्तरी नेपाल के पत्रकार धीरेंद्र कुमार बसनैत ने मुहैया करायी और तस्वीर कांतिपुर डाट कॉम से साभार )
2 टिप्पणियां:
अच्छी जानकारी दी है।आभार।
जानकारी देने का शुक्रिया
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