सन् 64 का अकाल देख चुके भरथी कमार अब सत्तर के ऊपर के हो चले हैं । कभी न सूखने वाले बोचहा पोखर के महार पर केले के भालर (सूखी डाल) की तरह ख़डे भरथी कभी सूखे ताल की थाल को घूरते हैं तो कभी सफेद रूई का कारवां हांकते बादलों को। जैसे वे बादल नहीं, झग़डकर नैहर भागती निर्मोही जोरू हो। सावन के इन बेवफा बादलों को भरथी लगातार घूर रहा है। कुछ इस तरह जैसे शिकार के बचकर भाग जाने के बाद शिकारी कभी हथियार को तो कभी निशाने चूके हाथ को देखते हैं। और बाद में मन-ही-मन दोनों को कोसकर चुप हो जाते हैं। पैरों पर च़ढते बदतमीज लहरचिट्टे को बायें हाथ से झा़डते भरथी बुदबुदाते हैं- " किछ दिन आउर रूक सार, फेर तें नै तू बचेगा नै हम ! जे 64 में बइच (बच) गिया था सेहो नै बचेगा एही साल!! ''
महार पर ही बरगद का एक विशाल वृक्ष है। एक महीना पहले तक यह वृक्ष सारस, पनकाैआ, बगुला और गरूर के शोर से हर पल गुलजार रहता था। लेकिन अब उनके घोंसले खाली हो चुके हैं। जीवन के जुगा़ड में ये उत्तर की ओर निकल गये हैं... शायद हिमालय की ओर। गृहस्थ की गैरहाजिरी का उदविलाव और धामिन सांप ने जमकर फायदा उठाया है। बड़े पक्षियों के अंडों को चट करने के बाद अब उनकी नजरें मैनों, बगड़ों और धनचिहों जैसी कमजोर चिि़डयों के गेलहों व अंडों पर पर हैं। ठीक बस्ती के धनवानों और प्रखंड एवं अनुमंडल कार्यालयों के बाबू-अधिकारियों की तरह। इन बाबुओं के गालों पर जगह-जगह चौअन्नी मुस्कान उभरने लगा है। आखिर क्यों न उभरे ? अकाल की तिजारत तो इन्हें ही करनी है ना ! अकाल की फसल खूब लहलाहायेगी एही बेर , का हो यादव जी ! हें -हें -हें .... देखिये , पहले विधायक -मंत्री से बचेगा , तबे न !! हें -हें -हें ...
यह बिहार के उत्तर-पूर्वी जिले अररिया के कुसमौल गांव का एक दृश्य है, जो अब समूचे बिहार में पसर गया है। सूख कर पुआल बन चुके धान के बिचड़े और खेतों में उड़ते धूल इस दृश्य को भयावह बना रहे हैं। नाद पर बंधे बैलों की जोड़ी, जो मानसून की बेवफाई से बेकार हो गये हैं, अक्सर एक-दूसरे के माथे को चाटते रहते हैं। पता नहीं, एक-दूसरे को सांत्वना दे रहे या मातम मना रहे ! कहते हैं कि पशुओं को अनिष्ट का भान पहले हो जाता है।
उधर खेतों में मानसून के अत्यधिक विलंब के कारण खरीफ के सीजन में ही रवी का नजारा है। रोपनी के लिए तैयार हाथ रेलवे स्टेशनों पर पंजाब, लुधियाना, सूरत और दिल्ली की टिकट खरीद रहे हैं। फारबिसगंज, कटिहार, सहरसा, बरौनी, समस्तीपुर, हाजीपुर, रक्सौल, दरभंगा, पटना जैसे स्टेशनों पर पलायन करने वालों का हुजूम उमड़ रहा है। बेटे तो पलायन करके पेट पाल लेंगे, लेकिन गांव में रह जाने वाले बूढ़े मां-बाप, बहन, बेटी, पत्नी और बच्चों का क्या होगा? भरथी कहता है- "आब जे होगा, से देखा जायेगा। ऊपर वाले की मर्जी होगी तो बइच जायेंगे, नहीं तो ???? ... मर जायेंगे !!! ''
महार पर ही बरगद का एक विशाल वृक्ष है। एक महीना पहले तक यह वृक्ष सारस, पनकाैआ, बगुला और गरूर के शोर से हर पल गुलजार रहता था। लेकिन अब उनके घोंसले खाली हो चुके हैं। जीवन के जुगा़ड में ये उत्तर की ओर निकल गये हैं... शायद हिमालय की ओर। गृहस्थ की गैरहाजिरी का उदविलाव और धामिन सांप ने जमकर फायदा उठाया है। बड़े पक्षियों के अंडों को चट करने के बाद अब उनकी नजरें मैनों, बगड़ों और धनचिहों जैसी कमजोर चिि़डयों के गेलहों व अंडों पर पर हैं। ठीक बस्ती के धनवानों और प्रखंड एवं अनुमंडल कार्यालयों के बाबू-अधिकारियों की तरह। इन बाबुओं के गालों पर जगह-जगह चौअन्नी मुस्कान उभरने लगा है। आखिर क्यों न उभरे ? अकाल की तिजारत तो इन्हें ही करनी है ना ! अकाल की फसल खूब लहलाहायेगी एही बेर , का हो यादव जी ! हें -हें -हें .... देखिये , पहले विधायक -मंत्री से बचेगा , तबे न !! हें -हें -हें ...
यह बिहार के उत्तर-पूर्वी जिले अररिया के कुसमौल गांव का एक दृश्य है, जो अब समूचे बिहार में पसर गया है। सूख कर पुआल बन चुके धान के बिचड़े और खेतों में उड़ते धूल इस दृश्य को भयावह बना रहे हैं। नाद पर बंधे बैलों की जोड़ी, जो मानसून की बेवफाई से बेकार हो गये हैं, अक्सर एक-दूसरे के माथे को चाटते रहते हैं। पता नहीं, एक-दूसरे को सांत्वना दे रहे या मातम मना रहे ! कहते हैं कि पशुओं को अनिष्ट का भान पहले हो जाता है।
उधर खेतों में मानसून के अत्यधिक विलंब के कारण खरीफ के सीजन में ही रवी का नजारा है। रोपनी के लिए तैयार हाथ रेलवे स्टेशनों पर पंजाब, लुधियाना, सूरत और दिल्ली की टिकट खरीद रहे हैं। फारबिसगंज, कटिहार, सहरसा, बरौनी, समस्तीपुर, हाजीपुर, रक्सौल, दरभंगा, पटना जैसे स्टेशनों पर पलायन करने वालों का हुजूम उमड़ रहा है। बेटे तो पलायन करके पेट पाल लेंगे, लेकिन गांव में रह जाने वाले बूढ़े मां-बाप, बहन, बेटी, पत्नी और बच्चों का क्या होगा? भरथी कहता है- "आब जे होगा, से देखा जायेगा। ऊपर वाले की मर्जी होगी तो बइच जायेंगे, नहीं तो ???? ... मर जायेंगे !!! ''