जनपक्षीय पत्रकारिता के लिए प्रतिबद्ध कलमकार पुष्पराज की पुस्तक "नंदीग्राम डायरी' का बीते बुधवार को नयी दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में लोकार्पण हुआ। पुस्तक का लोकार्पण प्रसिद्ध पत्रकार प्रभाष जोशी और कुलदीप नैयर के हाथों संपन्न हुआ। समारोह में देश के कई जाने-माने लेखक-पत्रकारों ने नंदीग्राम डायरी और इसके लेखक पर अपने विचार रखेे। इनमें प्रिसद्ध हिन्दी आलोचक नामवर सिंह व मैनेजर पांडेय और मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर शामिल हैं। लोकार्पण समारोह में समकालीन हिन्दी साहित्य के महत्वपूर्ण कवि-पत्रकार मंगलेश डबराल और कवि मदन कश्यप व अशोक चक्रधर भी उपस्थित थे। इनके अलावा प्रसिद्ध पत्रकार वेंकटेश रामकृष्णन , आनंद स्वरूप वर्मा, अजीत भट्टाचार्या, पुण्य प्रसून वाजपेयी, अरविंद मोहन और कथाकार हिमांशु जोशी समेत कई जाने-माने बुद्धिजीवी लोकार्पण समारोह में उपस्थित हुये।
"नंदीग्राम डायरी ' पुष्पराज के लगभग डेढ़ वर्षों के गहन परिश्रम के बाद सामने आयी है। नंदीग्राम हादसे का पुष्पराज गवाह रहे हैं। उन्होंने नंदीग्राम हादसे पर कई अखबारों के लिए रिपोर्टिंग भी की थी।
पुस्तक का प्रकाशन पेंगुइन बुक्स के हिन्दी इकाई यात्रा बुक्स ने किया है। यात्रा बुक्स पेंगुइन प्रकाशन के लिए भारत में समन्वय का काम करता है। 326 पृष्ठों की पुस्तक का मूल्य 250 रुपये रखा गया है। पुस्तक विभिन्न वितरकों के माध्यम से देशभर में उपलब्ध होगी अथवा सीधे यात्रा बुक्स से संपर्क करके भी इसे प्राप्त किया जा सकता है।
बिहार की माटी के कलमकार पुष्पराज ने विगत के वर्षों में कलिंगनगर में आदिवासियों के विस्थापन के मुद्दे से लेकर प्लाचीमाडा, केरल में कोका कोला के खिलाफ जन उभार और कोशी बाढ़ तक पर बेहतरीन रिपोर्टिंग की है। उनकी अपनी विशिष्ट लेखन शैली है और वे आम जन की बोलियों में संवाद करते हैं। उनका लेखन बरबस फणीश्वरनाथ रेणु की याद दिला देती है। यही कारण है कि "नंदीग्राम डायरी ' के प्रति मेरी जिज्ञाशा काफी बढ़ गयी है, लेकिन जबतक पुस्तक पढ़ नहीं लेता हूं तबतक इस पर कोई कमेंट नहीं करूंगा। ग्लोबल पूंजीवाद बनाम रूरल इंडिया के अंतर्द्वंद्व का नंदीग्राम एक ऐतिहासिक बिंदु है। और जब तक यह अंतर्द्वंद्व कायम रहेगा तबतक नंदीग्राम प्रासंगिक रहेगा। इस कारण भी नंदीग्राम की घटना के अंदरुनी सच को जानना बेहद जरूरी हो जाता है। उम्मीद है कि 'नंदीग्राम डायरी' के जरिये यह सच आम जन के सामने प्रकट होगा।
"नंदीग्राम डायरी ' पुष्पराज के लगभग डेढ़ वर्षों के गहन परिश्रम के बाद सामने आयी है। नंदीग्राम हादसे का पुष्पराज गवाह रहे हैं। उन्होंने नंदीग्राम हादसे पर कई अखबारों के लिए रिपोर्टिंग भी की थी।
पुस्तक का प्रकाशन पेंगुइन बुक्स के हिन्दी इकाई यात्रा बुक्स ने किया है। यात्रा बुक्स पेंगुइन प्रकाशन के लिए भारत में समन्वय का काम करता है। 326 पृष्ठों की पुस्तक का मूल्य 250 रुपये रखा गया है। पुस्तक विभिन्न वितरकों के माध्यम से देशभर में उपलब्ध होगी अथवा सीधे यात्रा बुक्स से संपर्क करके भी इसे प्राप्त किया जा सकता है।
बिहार की माटी के कलमकार पुष्पराज ने विगत के वर्षों में कलिंगनगर में आदिवासियों के विस्थापन के मुद्दे से लेकर प्लाचीमाडा, केरल में कोका कोला के खिलाफ जन उभार और कोशी बाढ़ तक पर बेहतरीन रिपोर्टिंग की है। उनकी अपनी विशिष्ट लेखन शैली है और वे आम जन की बोलियों में संवाद करते हैं। उनका लेखन बरबस फणीश्वरनाथ रेणु की याद दिला देती है। यही कारण है कि "नंदीग्राम डायरी ' के प्रति मेरी जिज्ञाशा काफी बढ़ गयी है, लेकिन जबतक पुस्तक पढ़ नहीं लेता हूं तबतक इस पर कोई कमेंट नहीं करूंगा। ग्लोबल पूंजीवाद बनाम रूरल इंडिया के अंतर्द्वंद्व का नंदीग्राम एक ऐतिहासिक बिंदु है। और जब तक यह अंतर्द्वंद्व कायम रहेगा तबतक नंदीग्राम प्रासंगिक रहेगा। इस कारण भी नंदीग्राम की घटना के अंदरुनी सच को जानना बेहद जरूरी हो जाता है। उम्मीद है कि 'नंदीग्राम डायरी' के जरिये यह सच आम जन के सामने प्रकट होगा।
3 टिप्पणियां:
In the competition of breaking news first, many medias are being biased on any of side. Lets hope, this book gives the correct description of that event.
no one can justify the killing of people and should not too...
Yes milan jee, we all are hoping so... because Mr. Pushapraj is first an activist then a writter.
Ranjit
Achhe post hai .......... jaankaari bhari
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