इस पेड़ को पिछले साल सुपौल जिले के दौलतपुर गांव में देखा था । कोशी की प्रलयंकारी बाढ़ में यह बाल-बाल बच गया था। पहली बार जब इसे देखा तो देर तक निहारते रह गया। तकरीबन 10 मिनट तक। फिर इसके नीचे बेमतलब घंटों बैठा रहा। आसपास के लोगों ने समझा - " शायद दुखियारा है, ग्राम देवता को मनोती रखने आया है।'' जब तस्वीर उतारी तो वे हैरत में पड़ गये और बोले- " कोई सरकारी आदमी होगा, गाछी (पेड़) का नापी-जोखी कर रहा है।'' तस्वीर शहरी मित्रों को दिखाई, तो उन्होंने पेड़ का नाम पूछा और कहा- "क्या मस्त पेड़ है, यार ? लेकिन तुम इसे इतना महत्व क्यों दे रहे हो ? क्या खास बात है इसमें ? '' मैंने कहा- इसमें सौंदर्य है। यह मुझे भरोसा दिलाता है कि दुनिया में अब भी सुंदरता बची हुई है।
गुरुवार, 23 जुलाई 2009
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4 टिप्पणियां:
वाह वाह वाह !!!!!!! क्या बात कही आपने.....वाह !
सचमुच वृक्ष का सौन्दर्य ऐसा ही है....जव चित्र में ऐसा लग रहा है तो वास्तव में कैसा लग रहा होगा, sahaj ही समझा जा सकता है....
और मुझे भरोसा है कि जबतक आपके जैसे सुन्दरता के महीन पारखी रहेंगे तबतक दुनिया में सुन्दरता बची रहेगी। गाँव की याद ताजी हो गयी यह तस्वीर देखकर। सुन्दर प्रयास।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
मैंने कहा- इसमें सौंदर्य है। यह मुझे भरोसा दिलाता है कि दुनिया में अब भी सुंदरता बची हुई है।
बिल्कुल सही !!
vah kya baat hai.........
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