शुक्रवार, 26 दिसंबर 2008

भारत के लिए एक ग्रीटिंग

जब 365 बार पूर्वी क्षितिज का ललाट लालिमय होता है, तो कहीं पूरा होता है एक साल। एक वर्ष की अवधि छोटी नहीं होती; मानव जीवन को सार्थक करने के लिए; निर्दिष्ट या अनिर्दिष्ट पथों पर एक दूरी तक पहुंच जाने के लिए; निर्धारित लक्ष्य तक पहुँचने के लिए । शायद यही वजह है कि लोग हर वर्ष के अंतिम दिनों में नये साल के प्रथम उषाकाल का आह्वान करते हैं। एक-दूसरे के शुभ की कामना के साथ नवप्रभात का स्वागत करते हैं। शुभ की यह कामना भांती-भांती माध्यमों से प्रकट होती है। कोई गुलदस्ता भेजकर अपने भावों को प्रकट करता है, तो कोई ग्रीटिंग कार्ड भेजकर । अब तो एसएमएस से भी नववर्ष की नवभावना भेजने और प्राप्त करने का दौर आ गया है। ये सभ्य होती सभ्यता का सामान्य व्यवहार है जो ज्यातादर निज- संबंधों के प्रति समर्पित रहता है। लेकिन क्या एक ग्रीटिंग ऐसा नहीं बनाया जा सकता, जिसमें समूचे समाज को संबोधित किया जा सके, जिसमें देश के प्रति हृदयाशीष हो सके, वृहत सामुदायिक सरोकारों का संदेश हो। एक्टिविस्ट पिनाकी राय के दिमाग में भी शायद यही सवाल उठा होगा। इसलिए उन्होंने फैसला किया कि वह हर वर्ष ऐसे ग्रीटिंग कार्ड बनायेंगे, जो देश और समाज को समर्पित किया जा सके ; जो व्यक्ति-से-व्यक्ति की छोटी संबंध-वृत्त को लांघकर देश-काल-पात्र के विरॉट वृत्त को परिलक्षित करे। और पिनाकी अपने इस प्रयास में काफी हद तक सफल हैं। उनके बनाये ग्रीटिंग कार्ड में भारत के लिए दुआ है। देश के उन तमाम उद्यमों, कौशल और संसाधनों के प्रति शुभाकांक्षा है, जो शस्य श्यामलाम्‌ एवं शुभलाम्‌ सुजलाम्‌ भारत की तस्वीर गढ़ती है। पिनाकी देश-काल-पात्र की उन छोटी-छोटी बातों को, प्रवृत्तियों को भी अपने ग्रीटिंग थीम में उतारते हैं, जिनकी हम अक्सर अनदेखी कर जाते हैं। मसलन देश में किसान आत्महत्या की घटना उन्हें दुखी करती है और वह इसे गिरते-बढ़ते सेंसेक्स के साथ खड़ा करते हैं। ताकि बढ़ते-घटते सेंसेक्स के नशेमन में हम अपनी असफलता को भूल न बैठें। पिनाकी के ग्रीटिंग में गांव की याद दिलायी गयी है, जिसे विस्मृत करने की एक फितरत-सी हो चली है। पिनाकी सम्यक विकास की याद दिलाते हैं और विकास के साथ पारिस्थितिकी के संतुलन की आवश्यकता को भी चिह्नित करते हैं। इसके लिए संसाधनों के यथोचित प्रयोग को वह अपने कार्ड में रेखांकित करते हैं। उनके कार्ड में सामाजिक सौहार्द का संदेश भी है।
यह भारत को भेजा गया एक बेहतरीन ग्रीटिंग कार्ड है और मैं खुद को धन्य मानता हूं कि शांति निकेतन से शिक्षित व दीक्षित पिनाकी ने मुझे यह कार्ड प्रेषित किया। पिनाकी के रचनात्मक कौशल का मैं कायल हूं और मुझे विश्वास है कि वह शांति निकेतन के रचनात्मक परंपरा को बहुत आगे तक ले जायेंगे। मुझे उनके द्वारा बनाये गये वर्ष 2008 के कार्ड का भी इंतजार रहेगा, क्योंकि यह देखना लाजिमी होगा कि 2008 को पिनाकी कैसे सम-अप करते हैं और 2009 के लिए क्या संदेश छोड़ते हैं।

1 टिप्पणी:

संगीता पुरी ने कहा…

एक्टिविस्ट पिनाकी राय की अच्‍छी सोंच ने ही देश और समाज को समर्पित किया जा सकनेवाला ऐसा ग्रीटिंग कार्ड बनाया....उन जैसे लोगो की ही आज समाज को जरूरत है.....2008 की ग्रीटींग्‍स को भी अवश्‍य पोस्‍ट करें , ताकि हम उनके संदेश को समझकर तदनुरूप काम कर सके।