लेकिन दिल्ली-पटना के अपने वातानुकूलित बैठकखाने में वोट पाने के लिए तरह-तरह के षड़यंत्र रचने वाले नेता को कौन समझाये। वे तो बांटो और वोट बटोरो की नीति से ऊपर उठ ही नहीं पाते हैं। इसलिए लालू ने रटे-रटाये अंदाज में उक्त बयान दे डाला, गोया वह किशनगंज में नहीं पाकिस्तान में हो । उन्होंने तो वर्षों से यही सुन रखा है कि किशनगंज इलाके में मुस्लिमों की संख्या काफी है। उन्होंने सोच लिया कि अपने वोट बैंक को अटूट रखने और किशनगंज जैसे इलाके में तुष्टिकरण और भड़काऊ भाषण से बेहतर कोई औजार हो ही नहीं सकता। लेकिन लालू प्रसाद भूल गये कि कभी यही बात बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के नेता मोहमद शहाबुद्दीन ने भी सोचा था और चुनाव जीतने के लिए यहां भागे चले आये थे। लेकिन इतिहास गवाह है कि यहां उनका सांप्रदायिक उन्माद का मंसूबा टांय-टांय फिस्स हो गया। उन्हें मुंह की खानी पड़ी थी, फिर जो वे यहां से चंपत हुए दोबारा कभी नजर भी नहीं आये।
जो लोग किशनगंज को अच्छी तरह जानते हैं, वे इस बात को समझते हैं कि यहां लोगों को रोलर नहीं रोड की जरूरत है। रोजगार की जरूरत है। मजबूत प्रशासन की जरूरत है। खेतों को पानी की जरूरत है और घरों को बिजली की। अपराधियों और भ्रष्टाचारियों से मुक्ति चाहते हैं, किशनगंज के लोग। बांग्लादेशी घुसपैठिये से भी वे काफी चिंतित हैं, क्योंकि इसके चलते उनकी रोजी-रोटी मारी जा रही है और सदियों पुराना सामाजिक तानाबाना बिगड़ रहा है। नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते होने वाली तस्करी और बढ़ती आपराधिक गतिविधियों से भी किशनगंज के आम लोग परेशान हैं। लेकिन लालू प्रसाद जैसे नेता को यह सब शायद मालूम नहीं है। दो महीना पहले जब मैं वहां गया था, तो लोग मुझसे कोशी बाढ़ की बात कर रहे थे। हालांकि इस जिले तक कोशी का कहर नहीं पहुंचा, लेकिन वे लोग बाढ़ की आपदा पर सरकारी निष्क्रियता से काफी आक्रोश में हैं। क्योंकि इस जिले के लगभग हर गांव के लोगों की बाढ़ से उजड़े सुपौल, अररिया, मधेपुरा जिलों में रिश्तेदारी है। बाढ़ ने कई लोगों के रिश्तेदारों को छिन लिया। आज भी बाढ़ प्रभावित जिले के लोग किशनगंज जिले के अपने रिश्तेदारों के यहां शरणार्थी का जीवन जी रहे हैं। लेकिन इस सच से राजनेता शायद अवगत नहीं है और शायद होना भी नहीं चाहते। वे तो बांटो और वोट बटोरे के अपने अमोध शस्त्र से ही जग जीतने का सपना देख रहे हैं।
1 टिप्पणी:
अच्छा लगा आपका आलेख ... पर राजनेताओं को क्या ... वे तो बांटो और वोट बटोरे के अपने अमोध शस्त्र से ही जग जीतने का सपना देख रहे हैं ... बिल्कुल सही कहना है आपका।
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