बुधवार, 29 अप्रैल 2009

लो हो गया वोट

फिर-फिर हुए भोर
नहीं-नहीं मचे शोर
हार गये हरिया, जीत गये चोर
लो हो गया वोट, लो हो गया वोट
घायल आकाश का लौटा होश
सहमे पंछियों को फिर आया जोश
जो बोला सब पानी था, जो न बोला वह ठोस
लो हो गया वोट, लो हो गया वोट
उड़न खटोले बंद हुए
दारोगा जी मंद हुए
राज करे राजा, देश खाये चोट
लो हो गया वोट, लो हो गया वोट
 
 
 

2 टिप्‍पणियां:

इष्ट देव सांकृत्यायन ने कहा…

सचमुच यही हाल है!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आज कल ऐसा ही हाल है.............वोट रोज ही आते हैं............फिर दुबारा, फिर तिबारा आते हैं........शोर मचता है.......सब चले जाते हैं.....हाल वाही रहता है