दहाये हुए देस का दर्द-43
कोशी तटबंध के कुसहा कटान की मरम्मत का काम कल स्थगित हो गया। तटबंध की मरम्मत करने वाली निजी कंपनी बशिष्ठा एंड बशिष्ठा ने बुधवार से काम रोक दिया है। कंपनी का कहना है कि ऐसा पैसे के अभाव में किया गया है। कंपनी के परियोजना पदाधिकारी रमेश कुलकर्णी का कहना है कि वे पैसे के अभाव में मरम्मत के कार्य को रोकने के लिए मजबूर हुए हैं। कुलकर्णी का कहना है कि कंपनी ने राशि आवंटन के लिए बार-बार भारत और बिहार सरकार से आग्रह किया, लेकिन आगे के काम के लिए राशि आवंटित नहीं हुई।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष अगस्त में कोशी का पूर्वी तटबंध नेपाल स्थित कुसहा गांव के समीप टूट गया था जिसके कारण नेपाल और पूर्वी बिहार में प्रलयंकारी बाढ़ आयी थी। इस बाढ़ में अरबों रुपये का स्थायी और अस्थायी नुकसान हुआ और हजारों लोग मारे गये एवं लाखों लोगों की आजिविका खत्म हो गयी। बाढ़ से प्रभावित कई हजार लोग आज भी शरणार्थी का जीवन जी रहे हैं।
सरकार ने पिछले वर्ष नवंबर में तटबंध की मरम्मत के लिए बशिष्ठा एंड बशिष्ठा कंपनी को ठेका दिया था । उस समय मार्च-09 तक सारा काम पूरा करने का सरकार ने वादा किया था। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आज तक तटबंध को ठीक नहीं किया जा सका है। कुसहा में लगभग एक दर्जन बार किसी न किसी कारण से काम बाधित होते रहे हैं। लेकिन यह पहला अवसर है कि मरम्मत- कार्य को राशि के अभाव में रोका गया है। ऐसा लगता है जैसे कोशी और कुसहा एक बार फिर क्षुद्र राजनीति की भेंट चढ़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि कुसहा तटबंध की मरम्मत के लिए राशि का प्रबंध केंद्र सरकार को करना है और बिहार सरकार इसमें क्रियान्वयन एजेंसी की भूमिका निभा रही है। ऐसे में एक-दूसरे के सतत् सहयोग और समन्वय के बगैर काम को पूरा करना असंभव है। चूंकि केंद्र और राज्य में अलग-अलग पार्टियों की सरकार है, इसलिए दोनों कुसहा के बहाने एक-दूसरे को कटघरे में खड़े करने का कोई मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहते। विभिन्न सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने इसलिए समय पर राशि निर्गत नहीं की क्योंकि उसका कहना है कि उसे सही आकलन बजट नहीं दिया गया। बिहार सरकार द्वारा केंद्र को भेजे गये आकलन बजट में तकनीकी कमी की शिकायत की गयी है।
सच्चाई क्या है, यह न तो कोई पत्रकार जानते हैं और न ही कोई आम जन। आम लोगों को अब साफ-साफ यही दिखाई दे रहा है कि कुसहा तटबंध की मरम्मति के प्रति कोई भी सरकार संवेदनशील नहीं है। समय तेजी से गुजर रहा है। वर्षा ॠतु शुरू होने में अब ज्यादा विलंब नहीं है। ऐसे में कुसहा में कार्य का स्थगित होना, भयानक खतरे को आमंतित्र करने जैसा है। पता नहीं संबंधित सरकारें इसे क्यों नहीं समझ रहीं???
कोशी तटबंध के कुसहा कटान की मरम्मत का काम कल स्थगित हो गया। तटबंध की मरम्मत करने वाली निजी कंपनी बशिष्ठा एंड बशिष्ठा ने बुधवार से काम रोक दिया है। कंपनी का कहना है कि ऐसा पैसे के अभाव में किया गया है। कंपनी के परियोजना पदाधिकारी रमेश कुलकर्णी का कहना है कि वे पैसे के अभाव में मरम्मत के कार्य को रोकने के लिए मजबूर हुए हैं। कुलकर्णी का कहना है कि कंपनी ने राशि आवंटन के लिए बार-बार भारत और बिहार सरकार से आग्रह किया, लेकिन आगे के काम के लिए राशि आवंटित नहीं हुई।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष अगस्त में कोशी का पूर्वी तटबंध नेपाल स्थित कुसहा गांव के समीप टूट गया था जिसके कारण नेपाल और पूर्वी बिहार में प्रलयंकारी बाढ़ आयी थी। इस बाढ़ में अरबों रुपये का स्थायी और अस्थायी नुकसान हुआ और हजारों लोग मारे गये एवं लाखों लोगों की आजिविका खत्म हो गयी। बाढ़ से प्रभावित कई हजार लोग आज भी शरणार्थी का जीवन जी रहे हैं।
सरकार ने पिछले वर्ष नवंबर में तटबंध की मरम्मत के लिए बशिष्ठा एंड बशिष्ठा कंपनी को ठेका दिया था । उस समय मार्च-09 तक सारा काम पूरा करने का सरकार ने वादा किया था। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आज तक तटबंध को ठीक नहीं किया जा सका है। कुसहा में लगभग एक दर्जन बार किसी न किसी कारण से काम बाधित होते रहे हैं। लेकिन यह पहला अवसर है कि मरम्मत- कार्य को राशि के अभाव में रोका गया है। ऐसा लगता है जैसे कोशी और कुसहा एक बार फिर क्षुद्र राजनीति की भेंट चढ़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि कुसहा तटबंध की मरम्मत के लिए राशि का प्रबंध केंद्र सरकार को करना है और बिहार सरकार इसमें क्रियान्वयन एजेंसी की भूमिका निभा रही है। ऐसे में एक-दूसरे के सतत् सहयोग और समन्वय के बगैर काम को पूरा करना असंभव है। चूंकि केंद्र और राज्य में अलग-अलग पार्टियों की सरकार है, इसलिए दोनों कुसहा के बहाने एक-दूसरे को कटघरे में खड़े करने का कोई मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहते। विभिन्न सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने इसलिए समय पर राशि निर्गत नहीं की क्योंकि उसका कहना है कि उसे सही आकलन बजट नहीं दिया गया। बिहार सरकार द्वारा केंद्र को भेजे गये आकलन बजट में तकनीकी कमी की शिकायत की गयी है।
सच्चाई क्या है, यह न तो कोई पत्रकार जानते हैं और न ही कोई आम जन। आम लोगों को अब साफ-साफ यही दिखाई दे रहा है कि कुसहा तटबंध की मरम्मति के प्रति कोई भी सरकार संवेदनशील नहीं है। समय तेजी से गुजर रहा है। वर्षा ॠतु शुरू होने में अब ज्यादा विलंब नहीं है। ऐसे में कुसहा में कार्य का स्थगित होना, भयानक खतरे को आमंतित्र करने जैसा है। पता नहीं संबंधित सरकारें इसे क्यों नहीं समझ रहीं???
2 टिप्पणियां:
रंजीत भाई, कोसी क्षेत्र और उसकी समस्या के प्रति आप सजग हैं… समप्रति मै सहरसा में हूं, अपने बारे में अन्य जानकारी देंगे…
भाई, पत्र के लिये आभार, आप अच्छा लिख रहे हैं आलेख भी पढ़ा कोसी के करीब हैं आप, दूर रह कर भी। जहां भी रहें यहाँ की पीड़ा / समस्या को आमजन तक पहुँचाते रहे……। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं…।
एक टिप्पणी भेजें